Friday, March 25, 2016

भारत के सबसे बड़े गद्दार गाँधी और नेहरू थे-डॉ0 संतोष राय

मूर्ख  कांग्रेसियों को कन्हैया कुमार मे शहीद भगत सिंह  दिखता है... और वीर सावरकर में  गद्दार




''जहाँ  इंदिरा गांधी ने सावरकर को महान स्वतंत्रता सेनानी बताकर उनके सम्मान मे डाक टिकिट जारी किया था वहीं आज के ओछी मानसिकता वाले  कांग्रेसी महान स्‍वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर  को गद्दार बता रही है। एक स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने के साथ दूसरे स्वतंत्रता सेनानी विनायक वीर दामोदर सावरकर का  अपमान .. .ये सिर्फ नीच कांग्रेसी ही कर सकते  हैं |'' उपरोक्‍त बातें अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता व फिल्‍म निर्माता डॉ0 संतोष राय नें आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्‍यम से कही । ज्ञात हो कि कांग्रेस ने बुधवार को भगत सिंह के शहीदी दिवस पर एक ट्वीट किया। इसमें वीर सावरकर को गद्दार’ और भगत सिंह को शहीद’ बताया गया है। यह ट्वीट कांग्रेस के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल @INCIndia पर किया गया।

 अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ0 संतोष राय नें कहा कि सच्‍चाई यही है कि  विनायक दामोदर सावरकर नेहरु की आँखों में किसी रेत के कण की तरह चुभते थे ..इसलिए नेहरु के इशारे पर कांग्रेस उन्हें आज तक बदनाम करती आ रही है । वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी…. सावरकर जी नें दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हँसकर बोले- चलोईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया। इतना ही नहीं उन्हें रोज दस किलो तेल भी निकलना होता था,  बैल की जगह खुद सावरकर अपने हाथो से कोल्हू चालाकर तेल निकालते थे ।

आगे डॉ0 संतोष नें बताया कि वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया…. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था… ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी… भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी… पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी।  

अपनी बात में आगे श्री राय नें कहा कि वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-

आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः.

अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू हैजिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैंवही हिन्दू है..

हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता नें कहा कि वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया… देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था
़श्री राय नें अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब वीर सावरकर की धर्मपत्नी बेहद गम्भीर बीमार थी तब उन्होंने पैरोल के लिए आवेदन दिया .. अंग्रेजी कानून के मुताबिक जब भी कोई सेनानी पेरोल के लिए आवेदन देता था तो उसे अपने अच्छे चाल-चलन की गारंटी देनी होती थी .. ये प्रथा आज भी है ... लेकिन धूर्त इतिहासकार सिर्फ उनके पेरोल आवेदन को ही दिखाकर कहते है की सावरकर डर गये थे .. जबकि सच्चाई ये है की जब जेलर ने उन्हें कहा की मजिस्ट्रेट के सामने यूनियन जैक [अंग्रेजी झंडा] के सामने शपथ लेनी होगी .. तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया और कहा की भले ही मैं  अपनी मरती पत्नी को न देख सकूं ..लेकिन मै अंग्रेजी झंडे की शपथ नही ले सकता और उन्होंने अपनी पेरोल का आवेदन वापस ले लिया | इतना ही नहीं वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली… इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया

गोडसे फिल्‍म निर्माता डॉ0 संतोष राय नें कांग्रेस की कड़े शब्‍दों में भर्त्‍सना करते हुए कहा कि जेल में सावरकर ने दिवालों  पर नाख़ून और कोयले से कई किताबे लिखी ..जो देश आजाद होने के बाद छापी गई । सावरकर कांग्रेस की दृष्टि में इसलिए खलनायक है क्योंकि उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद को जन्म दिया था .. जबकि कांग्रेस को मुस्लिम राष्ट्रवाद पसंद था। इतना ही नहीं जब भारत छोड़ो आन्दोलन अपने चरम पर था, लोग अंग्रेजों  के खिलाफ संगठित होकर विद्रोह करने लगे थे .. तब अचानक गाँधी ने चौरी-चौरा कांड का बहाना बनाकर आन्दोलन को वापस क्यों ले लिया और तो और नेताजी सुभाषचंद्र बोस नें  जब सशस्त्र हमला किया अंग्रेजों के ऊपर तब गाँधी ने लोगों  को नेताजी के आंदोलन में शामिल न होने के लिए अपील क्यों किया और उस समय नेहरू जी  का वक्‍तव्‍य था कि यदि सुभाष चंद बोस यदि भारत की धरती पर कदम रखे तो मैं तलवार लेकर उन पर सबसे पहले हमला करूँगा  ???  

आगे कांग्रेस पर डॉ0 राय नें करारा प्रहार करते हुए कहा कि मोहन दास करमचंद गाँधी सरदार भगत सिंह के परोक्ष रूप से हंता (हत्‍यारे)  थे क्‍योंकि अहिंसा नीति के पोषक गाँधी  जी  नें अमर  हुतात्‍मा सरदार भगतसिंह के  फांसी वाले मामले पर कहा था, ‘‘हमें ब्रिटेन के विनाश के बदले अपनी आजादी नहीं चाहिए ’’ और आगे कहा, ‘‘भगतसिंह की पूजा से देश को बहुत हानि हुई और हो रही हैफाँसी शीघ्र दे दी जाए ताकि 30 मार्च से करांची में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन में कोई बाधा न आवे।

डॉ0 राय नें मोहनदास करम चंद गाँधी  पर मुस्लिम कट्टरवाद का बढ़ावा देनें का आरोप लगाते हुए कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। वहीं केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं से  मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दू  मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गाँधी जी नें  इस हिंसा का विरोध नहीं किया वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया जो अत्‍यंत निंदनीय कृत्‍य था । इतना ही नहीं देश का बँटवारा कराने वाले को मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।

हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता डॉ0 राय नें आगे कहा कि गाँधी नें भारत माता के वीर सपूतों का भी घोर अपमान किया, उन्‍होंने अनेंक अवसरों पर छत्रपति शिवाजीमहाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।

फिल्‍म निर्माता डॉ0 संतोष राय को देश के विभाजन के लिए प्रमुख रूप से गाँधी को  जिम्‍मेदार बताते  हुए कहा कि 14-15 जून, 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला थाकिन्तु गान्धी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा। फिर भी देश का  विभाजन करने वाले को इस देश के वासी राष्‍ट्रपिता कहते हैं, इससे बड़ा देश का दुर्भाग्‍य क्‍या हो सकता है ? इतना ही नहीं गाँधी नें गौ हत्या पर प्रतिबंध  लगाने का पूरजोर विरोध किया ।  

हिन्‍दू महासभा के वरिष्‍ठ नेता श्री संतोष राय नें गाँधी के अहिंसा को ढोंग बताते हुए कहा कि  1939 के द्वितीय विश्व युद्ध में गाँधी ने भारतीय सैनिको को ब्रिटेन के  लिए हथियार उठा कर लड़ने के लिए प्रेरित किया  जबकि वो हमेंशा अहिंसा की पीपनी बजाते रहते थे वहीं गाँधी और नेहरू दोनों पेशे से वकील थे तो क्‍या भगत सिंह जी का मुकदमा नहीं लड़ सकते थे । इनकी नजरों में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भगत सिंह को फाँसी देना हिंसा नहीं थी ।  

डॉ0 राय नें गाँधी को देश के बँटवारे के लिए जिम्‍मेदार बताते हुए कहा कि देश को बँटवारे में गाँधी नें मुस्लिमों को उकसाया । धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के जरिये गाँधी जी का यही मुस्लिम तुष्टिकरण देश के विभाजन का भी कारण बनाजब २६ मार्च १९४० को जब मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की अवधारणा पर जोर दिया तब गाँधी जी का वक्तव्य था – अन्य नागरिकों की तरह मुस्लिम को भी यह निर्धारण करने का अधिकार है कि वो अलग रह सकेहम एक संयुक्त परिवार में रह रहे हैं ( हरिजन ६ अप्रैल १९४० ) इतना ही नहीं अगर इस देश के अधिकांश मुस्लिम यह सोचते हैं कि एक अलग देश जरूरी है और उनका हिंदुओं से कोई समानता नहीं है तो दुनिया की कोई ताक़त उनके विचार नहीं बदल सकती और इस कारण वो नए देश की मांग रखते है तो वो मानना चाहिएहिन्दू इसका विरोध कर सकते है ( हरिजन १८ अप्रैल १९४२ )। दूसरे शब्दों में कहें तो गाँधी जी ने मुसलामानों को पाकिस्तान बनाने के लिए प्रेरित ही किया। इस घटना के बाद वल्लभ भाई ने भी बंटवारा स्वीकार करने का फैसला किया।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ0 संतोष राय ने कहा कि  ये वीर सावरकर जी ही थे जिन्होंने लन्दन के इण्डिया हाउस में अंग्रेजो के नाक के नीचे ही सेनानियों को तैयार करते थे .. मदन लाल धिंगरा जैसे शहीदों को उन्होंने ही तैयार किया था .. लन्दन में जब अंग्रेजो ने उन्हें गिरफ्तार किया तो वे पानी के जहाज  से कूदकर फरार हो गये .. और कई दिनों तक समुद्र में तैरने के बाद फ्रांस पहुंच गये ।  

फिल्‍म निर्माता राय नें बताया कि वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका जाता रहा पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे प्रतिरोध को  चीरकर आज वीर सावरकर के राष्ट्रवादी विचारों का सूर्य उदय हो रहा है………जिसे कांग्रेस जैसी देश की गद्दार पार्टी जिसने देश के दो टुकड़े करा दिये, नहीं रोक सकती।  

डॉ0 संतोष राय नें युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि हर युवा को भारत का स्वतंत्रता संग्राम पढ़ना चाहिए जिससे आपको विश्‍वास हो जायेगा की नेहरु और गाँधी असल में सेनानी नही बल्कि अंग्रेजों  के दलाल थे .. एक तरफ अंग्रेज सरकार स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों को फाँसी से लेकर कालेपानी की सजा देती थी ..लेकिन इन दोनों दलालों को कभी तीन सालो से ज्यादा जेल में नही रखा .. गाँधी को तो अंग्रेज जेल में नही बल्कि आलिशान आगा खान के पैलेस में रखते थे ...जहाँ वो सुरा और सुन्दरी का जमकर मजा ले सकते थे |

अंत में डॉ0 संतोष राय नें कहा कि जो कुछ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने युग पुरुष वीर सावरकर जी के बारे में कहा है वह सोनिया गाँधी की अज्ञानता और महामूर्खता को  दर्शाता है  मेरी यह भी धारणा बन गई है कि कांग्रेस में अब कोई स्वाभिमानी व्यक्ति नहीं रह गया है जो ऐसी जाहिल महिला के नेतृत्व को अस्वीकार करने का साहस दिखा पाए|  १९०६-१० के समय में जब वीर सावरकर लंदन में अपने क्रन्तिकारी विद्यार्थी साथियों के साथ मिलकर हिन्दुस्थान की स्वतंत्रता के लिए रोजना जलसे – जलूस कर रहे थे उस समय (जवाहर लाल नेहरु) भी वहां पढ़ रहे थे और वह इन आन्दोलनों से दूर रहकर संभवतः अपनी अंग्रेज आया के आंचल में छुपे रहते थे|

वीर विनायक दामोदर सावरकर के तप, तपष्‍या और त्‍याग के कारण इतने महानदसियों गाँधी और जवाहर उन पर कुर्बान किये जाएं तो भी कम पड़ेंगे ।

 गाँधी नेहरु की देश को जो देन  है वह मुख्यतः यह है

१.  १९४७ में देश विभाजन

२.  कश्मीर समस्या

३.  १९६२ में चीन से लड़ाई में हिन्दुस्थान की पराजय

तभी तो जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने श्री मोहन दास करमचंद गाँधी को अंग्रेजों का एजेंट कहा है|

महान वीर सावरकर के मुकाबले में गाँधी और नेहरु का कोई वजूद ही नहीं है|


देश के बँटवारे वाले प्रमाणपत्र पर  हस्‍ताक्षर नेहरू के थे, सुभाष चंद्र बोस के जीवन को बर्बाद करने वाले नेहरू थे और चंद्रशेखर आजाद को यदि किसी नें छल से मरवाया तो वे नेहरू ही थे। इसलिए देश को आजाद देश के क्रांतिकारियों ने करवाया था न कि अंग्रेज के दो एजेंट गाँधी और नेहरू नें ।  इस मसले पर हिन्‍दू महासभा किसी भी जाँच के लिए तैयार है । हिंदू महासभा मांग करती है कि सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद से जुड़ी जितनी फाइलें हैं उसे सार्वजनिक किया जाए ।  

Monday, February 9, 2015

डॉ0  संतोष राय पर कांग्रेस के षडयंत्रों का सिलसिला अनवरत जारी- मिश्र

               
     
  अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रवादी नेता व ‘‘गोडसे’’ फिल्म के निर्माता डॉ0 संतोष राय के विरूद्ध कांग्रेस का षडयंत्रों का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार उनके उपर तमाम तरह के झूठे व फर्जी मुकदमें लाद दिया है । कर्नाटक सरकार ऐसा इसलिये कर रही है ताकि भविष्य में गोडसे फिल्म न आ सके और कांग्रेस की दुकान गांधी के नाम पर चलती रहे। डॉ0 संतोष राय की सबसे बड़े गलती यही है कि वे इतिहास की कड़वी सच्चाइयों को पूरे विश्व के समक्ष साहस के साथ ला देना चाहते हैं डाॅ0 संतोष राय के ‘‘गोडसे’’ फिल्म की सच्चाई से कांग्रेस के नायक मोहन दास करम चंद गांधी व जवाहर लाल नेहरू के छद्म देशभक्ति का मुखौटा उतर जायेगा जो अभी तक इन्होंने पहन रखा है। उपरोक्त बातें पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही। इन तथाकथित धर्म निरपेक्ष कांग्रेसियों की सबसे बड़े बिडम्बना यह है कि वे तुष्टीकरण नीति के तहत ये ढोंगी कांग्रेसी नेता हिन्दू हितों के रखवाले नेताओं के विरूद्ध दुःसाहसपूर्ण कार्यवाही के लिये वोट बैंक के लालच में किसी भी सीमा तक जाने के लिये तैयार रहते हैं चाहे मानवता की हत्या हो जाये किसी का घर-परिवार उजड़ जाये उससे इन दुष्ट नेताओं को कोई चिंता नही रहती।
                        पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने कांग्रेस सरकार पर आक्रामक हमला करते हुये कहा कि कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने डॉ0 संतोष राय को उन तिथियों में अपराध दिखाया है जिन तिथियों में वे अपराध स्थल पर थे ही नही तो फिर अपराध कैसे उन्होने कर दियाः
     1- 1 जून 2014 सुबह से 5 जून 2014 के दोपहर तक दिल्ली।
      2- 30 जून, 2014 की शाम से 10 जुलाई, 2014 की शाम तक दिल्ली।
      3-10 अगस्त, शाम 2014 से 16 अगस्त, 2014 सुबह तक दिल्ली रहे।
      4- 23-24 सितंबर, 2014 को गोरखपुर।
       5- 24 सितंबर, 2014 की शाम से 4 अक्टूबर, 2014 सुबह तक दिल्ली रहे।
      जब इन उपरोक्त तिथियों पर डॉ0  संतोष राय अपराध स्थल पर  थे ही नही फिर वे अपराध के भागीदार कैसे हो गये। इससे स्पष्ट होता है कि डॉ0 संतोष राय को जानबूझकर किसी बड़े षडयंत्र के तहत कर्नाटक की कांग्रेस सरकार फंसा रही है और राय के उपर नये-नये झूठे केस जेहादी ताकतों के इशारे पर लगाये जा रही है ताकि वो जेल से बाहर न निकल सके व उनकी गोडसे फिल्म अधर में लटक जाये।
                        आगे बाबा  पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने कहा कि डॉ0  संतोष राय इतिहास के उस सच को दिखाना चाहते हैं जिसे कांग्रेसियों और वामपंथी इतिहासकारों से गलत ढंग से लिखवाकर आने वाली पीढि़यों के साथ धोखा किया था, डॉक्टर राय उस झूठ को आमूल-चूल बदल देना चाहते हैं जिस झूठ को नेहरू ने 40 साल तक दबाया था क्योंकि डॉ0 संतोष राय के फिल्म ‘गोडसे’ से गांधी और नेहरू जो कांग्रेसियों के नायक हैं पूरी तरह से बेनकाब हो जायेंगे जिनके आवरण में कांग्रेस 50 सालों से सत्ता का सुख भोग रही थी। डॉ0 राय को ऐसे समय जानबूझकर गिरफ्तार किया गया जिससे आने वाली फिल्म ‘गोडसे’ किसी भी हाल में प्रदर्शित न होने पाये ज्ञात हो कि यह फिल्म गत 30 जनवरी, 2015 को रिलीज होने वाली थी।
                        श्री पं0 नंद किशोर मिश्र ने गांधी पर हमला करते हुये कहा कि यदि मोहन दास करम चंद गांधी जी सच्चे नेता थे तो नाथूराम गोडसे जी का अदालत में दिये गये बयान को नेहरू जी ने 40 वर्ष तक प्रतिबंध क्यों लगा रखा था गोडसे का अदालत में दिये गये बयान को जनता के बीच में क्यों सार्वजनिक नही होने दिया। इससे यही जान पड़ता है कि गांधी ने ऐसी गलती अवश्य किया था जिसके कारण गोडसे जैसे वरिष्ठ पत्रकार को  गांधी वध के लिये विवश होना पड़ा। गांधी वध के तुरंत बाद गोडसे जी ने अपने को कानून के हवाले कर दिया यदि वो चाहते तो भाग भी सकते थे लेकिन स्वेच्छा से फांसी के फन्दे का वरण कर लिया।
                        श्री मिश्र ने कांग्रेस पर हमला करते हुये कहा कि ‘‘गोडसे’’ फिल्म जबसे बन रही है तब से कांग्रेस का परोक्ष रूप से फिल्म निर्माता  डाॅ0 संतोष राय पर दबाव है कि ‘‘गोडसे’’ फिल्म में पूरी तरह उलट-फेर कर दें  जिससे गांधी एक नायक के तौर पर उभरें और नाथूराम  गोडसे एक महाखलनायक के रूप में। लेकिन डॉ0  राय ने गोडसे फिल्म की पटकथा में बदलाव करने से पूरी तरह मना कर दिया जो इतिहास की कड़वी सच्चाई है वही दिखा रहे हैं यही बात कांग्रेस सरकार को अंदर ही अंदर परेशान कर दिया है।
                        पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने आगे बताया कि डाॅ0 संतोष राय के साथ छलपूर्वक षडयंत्र करके कर्नाटक की कांग्रेस सरकार उनके प्राण ले सकती है या उनके साथ ऐसा कुछ किया जा सकता है जिससे डॉ0 राय अपना मानसिक संतुलन खो दें क्योंकि हिन्दू नेताओं के विरूद्ध षडयंत्र के लिये कांग्रेस कुख्यात है।  श्री मिश्र ने बताया कि इस हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डॉ0  राय के विरूद्ध ढेरों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र हो रहे हैं  श्री मिश्र ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि डॉ0  संतोष को जान से मारने के लिये बहुत सारी जेहादी ताकतें षडयंत्र कर रही हैं। ये जेहादी ताकतें डॉ0  संतोष राय को या तो जेल के अंदर या हमेंशा के लिये इस दुनिया से विदा करवा देना चाहती हैं।
 पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने आश्चर्य व्यक्त करते हुये, पुनः अपनी बातों को दुहराते हुये कहा कि उपरोक्त तिथियों पर डॉ0 राय अपराध स्थल पर थे ही नही तो अपराध कैसे कर दिया। कर्नाटक कांग्रेस सरकार अभी भी समय है संभल जाये वर्ना पूरे देश में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन हिंदू महासभा आरंभ करेगी जिसमें नेहरू और गांधी के काले कारनामे को पूरे देश को बताया जायेगा तब वो दिन दूर नही पूरे देश से भारत कांग्रेस मुक्त हो जायेगा।

Saturday, January 3, 2015

हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डॉ0 संतोष राय व उनके फिल्‍म ''गोडसे'' के विरूद्ध कांग्रेस का षडयंत्र-पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र


                                एक ओर जहां सैकड़ों  वारण्ट वाले जामा मस्जिद के ईमाम बुखारी को दिल्ली पुलिस खोज नही पा रही है वहीं दूसरी ओर अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रवादी नेता व ‘‘गोडसे’’ फिल्म के निर्माता डॉ0 संतोष राय के विरूद्ध कांग्रेस का षडयंत्र अनवरत जारी है। डॉ0 संतोष राय की सबसे बड़े गलती यही है कि वे इतिहास की कड़वी सच्चाइयों को पूरे विश्व के समक्ष साहस के साथ ला देना चाहते हैं डॉ0 संतोष राय के ‘‘गोडसे’’ फिल्म की सच्चाई से कांग्रेस के नायक मोहन दास करम चंद गांधी व जवाहर लाल नेहरू के छद्म देशभक्ति का मुखौटा उतर जायेगा जो अभी तक इन्होंने पहन रखा है। उपरोक्त बातें पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही।  श्री मिश्र ने आगे कहा कि डॉ0  राय का ‘‘गोडसे’’ फिल्म लाने का  साहस कांग्रेस की दुःखती रग पर हाथ रखने जैसा है। इन तथाकथित धर्म निरपेक्ष कांग्रेसियों की सबसे बड़े बिडम्बना यह है कि वे तुष्टीकरण नीति के तहत जामा स्जिद के शाही ईमाम बुखारी को सैकड़ों वारण्ट जारी होने के बावजूद गिरफ्तार नही करना चाहते हैं वहीं ये ढोंगी कांग्रेसी नेता हिन्दू हितों के रखवाले नेताओं के विरूद्ध दुःसाहसपूर्ण कार्यवाही के लिये वोट बैंक के लालच में किसी भी सीमा तक जाने के लिये तैयार रहते हैं।
                                इतना ही नही पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि डॉ0 संतोष राय इतिहास के उस सच को दिखाना चाहते हैं जिसे कांग्रेसियों और वामपंथी इतिहासकारों से गलत ढंग से लिखवाकर आने वाली पीढि़यों के साथ धोखा किया था, डॉ0  राय उस झूठ को आमूल-चूल बदल देना चाहते हैं जिस झूठ को नेहरू ने 40 साल तक दबाया था क्योंकि डॉ0  संतोष राय के फिल्म गोडसेसे गांधी और नेहरू जो कांग्रेसियों के नायक हैं पूरी तरह से बेनकाब हो जायेंगे जिनके आवरण में कांग्रेस 50 सालों से सत्ता की मलाई खा रही थी। डॉ0  राय को ऐसे समय जानबूझकर गिरफ्तार किया गया जिससे आने वाली फिल्म गोडसेअधर में लटक जाये जिससे ये फिल्म किसी भी हाल में भारतीय सिनेमा के रूपहले पर्दे पर न आ सकेज्ञात हो कि यह फिल्म आगामी 30 जनवरी, 2015 को रिलीज होने वाली थी जिससे कांग्रेसी षडयंत्र के तहत रोकने की कुचेष्टा हो रही है।
                                श्री मिश्र ने गांधी पर हमला करते हुये कहा कि यदि मोहन दास करम चंद गांधी जी सच्चे नेता थे तो नाथूराम गोडसे जी का अदालत में दिये गये बयान को नेहरू जी ने 40 वर्ष तक प्रतिबंध क्यों लगा रखा था गोडसे का अदालत में दिये गये बयान को जनता के बीच में क्यों सार्वजनिक नही होने दिया। इससे यही जान पड़ता है कि गांधी ने ऐसी गलती अवश्य किया था जिसके कारण गोडसे जैसे वरिष्ठ पत्रकार को  गांधी वध के लिये विवश होना पड़ा। गांधी वध के तुरंत बाद गोडसे जी ने अपने को कानून के हवाले कर दिया यदि वो चाहते तो भाग भी सकते थे लेकिन स्वेच्छा से फांसी के फन्दे का वरण कर लिया।
                                श्री मिश्र ने कांग्रेस पर हमला करते हुये कहा कि ‘‘गोडसे’’ फिल्म जबसे बन रही है तब से कांग्रेस का परोक्ष रूप से फिल्म निर्माता  डॉ0  संतोष राय पर दबाव है कि ‘‘गोडसे’’ फिल्म में पूरी तरह उलट-फेर कर दें  जिससे गांधी एक नायक के तौर पर उभरें और नाथूराम  गोडसे एक महाखलनायक के रूप में। लेकिन डॉ0  राय ने गोडसे फिल्म की पटकथा में बदलाव करने से पूरी तरह मना कर दिया जो इतिहास की कड़वी सच्चाई है वही दिखा रहे हैं यही बात कांग्रेस सरकार को अंदर ही अंदर खाये जा रही है, उसकी गांधी और नेहरू के नाम पर 50 साल से जो दुकानदारी चल रही थी वो अब बंद हो सकती है।
पं0 बाबा नंद किशोर ने पुनः कांग्रेस पर हमला बोलते हुये कहा कि ‘‘गोडसे’’ फिल्म के निर्माता व वरिष्ठ हिन्दू महासभा के नेता डॉ0  संतोष राय को यह पहली बार कांग्रेस की कर्नाटक सरकार परेशान नही कर रही है इससे पहले भी केन्द्र में कांग्रेस समर्थित  यूपीए सरकार के दौरान सोनिया और राहुल के इशारे पर सीबीआई  उन्हें काफी परेशान कर रही थी इतना ही नही बार-बार सीबीआई के तंग करने से उन्हें गोल मार्केट का अपना कार्यालय बंद करना पड़ा लेकिन दबंग हिन्दूवादी नेता ने तत्कालीन सरकार के तोते सीबीआई के विरूद्ध सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन छेड़ दिया जिस आंदोलन को इण्डिया अगेंस्ट सीबीआईनाम दिया गया।
श्री मिश्र ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये तथाकथित धर्म निरपेक्ष नेताओं की बखिया उधेड़ते हुये कहा कि यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने वाले  लालू, मुलायम, मायावती और कांग्रेस के रहमोकरम से अनेंको घोटाले करके बाहर की दुनिया में मौज कर रहे थे जिनकी मौज अब भी जारी है वहीं हिन्दुत्व व राष्ट्र के लिये काम करने वाले नेता डॉ0  संतोष राय को कांग्रेस कर्नाटक की सरकार ने जेल के सींकचों के पीछे धकेल दिया है। कर्नाटक पुलिस कह रही है डॉ0  संतोष राय ने गत 30 सितंबर को अपराध किया था जबकि डॉ0  राय उस दिन किसी प्रेस कांफ्रेंस में थे जिससे यही प्रतीत हो रहा है कि डॉ0  राय कि विरूद्ध कांग्रेसी षडयंत्र की बू आ रही है।
डॉ0  संतोष राय का प्राण लिया जा सकता है
                                पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने आगे बताया कि डॉ0 संतोष राय के साथ छलपूर्वक षडयंत्र करके कर्नाटक की कांग्रेस सरकार उनके प्राण ले सकती है या उनके साथ ऐसा कुछ किया जा सकता है जिससे डॉ0  राय अपना मानसिक संतुलन खो सकते हैं क्योंकि हिन्दू नेताओं के विरूद्ध षडयंत के लिये कांग्रेस कुख्यात है।  श्री मिश्र ने बताया कि इस हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता डॉ0 राय के विरूद्ध ढेरों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र हो रहे हैं  श्री मिश्र ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि डॉ0 संतोष को जान से मारने के लिये बहुत सारी जेहादी ताकतें षडयंत्र कर रही हैं। ये जेहादी ताकतें डॉ0 संतोष राय को या तो जेल के अंदर या हमेंशा के लिये इस दुनिया से विदा करवा देना चाहती हैं।
 पं0 बाबा नंद किशोर मिश्र ने आश्चर्य व्यकत करते हुये कहा कि क्या डॉ0  संतोष राय ने जामा मस्जिद के ईमाम बुखारी या लालू और मुलायम से भी बड़ा अपराध कर दिया है। सैकड़ों निर्दोष राम भक्तों के ऊपर गोली चलवाने वाला मुलायम सिंह आज छुट्टे सांड की तरह खुल्लम-खुल्ला घूम रहा है मगर जेहादी तत्वों के विरूद्ध लोहा लेने वाले इस हिन्दूवादी नेता डॉ0 संतोष राय को कांग्रेस सरकार ने एक षडयंत्र के तहत जेल में डाल दिया है। जब डॉ0 संतोष राय को कांग्रेस सरकार ने जेल में डाल दिया तो बुखारी को तत्कालीन कांग्रेस समर्थित यूपीए सरकार ने क्यों छोड़ दिया था जबकि उसके ऊपर सैकड़ों अपराधिक मुकदमें चल रहे हैं। कांग्रेस सरकार धर्म निरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं के विरूद्ध षडयंत्र का काम रही है यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में एक दिन पूरे देश से कांग्रेस का नामो निशान मिट जायेगा।

‘‘गोडसे’’ फिल्म का हिन्दू महासभा भवन पर कब्जा जमाने वाले चंद्र प्रकाश कौशिक व मुन्ना शर्मा से कोई संबंध नही है ये संगठन से निष्कासित अपराधिक मानसिकता के लोग हैं।

Tuesday, November 26, 2013

अमेठी का तथाकथित सामूहिक बलात्‍कार काण्‍ड

अनिल श्रीवास्‍तव

राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश में नरेंन्‍द्र मोदी के शामिल होने का जाल बुन रही है सीबीआई

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भयभीत हैं। उन्‍हें डर है कि अगर उन्‍होंने केंद्र की संप्रग सरकार से समर्थन वापस लिया तो केन्‍द्र सरकार उन्‍हें जेल में डाल सकती है। पिछले दिनों उन्‍होंने अपना यह डर सार्वजनिक रूप से व्‍यक्‍त भी किया था। उनका कहना था कि केन्‍द्र से लड़ना आसान नही है। केन्‍द्र सरकार के हजार हाथ होते हैं। वह सीबीआई लगा देती है। मुकदमा बना देती है। जेल में डाल सकती है। आय से अधिक संपत्त्‍िा मामले में केन्‍द्र सरकार के रवैये से हरदम किसी अनहोनी को लेकर आशंकित रहने वाले मुलायम सिंह का डर बेबुनियाद नही है। केन्‍द्रीय सत्‍ता के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये बदनाम सीबीआई एक अन्‍य मामले में मुलायम सिंह यादव, उनके मुख्‍यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव व भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के प्रत्‍याशी गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिये अतिरिक्‍त प्रयास कर रही है।


सीबीआई के एक डीएसपी स्‍तर के अधिकारी जांच के नाम पर अखिल भारत हिन्‍दू महासभा के नेता डॉ0 संतोष राय पर मुलायम सिंह यादव, उनके पुत्र अखिलेश यादव तथा बाद में गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान देने के लिये दबाव डाल रहे हैं। डीएसपी यह भी चाहते हैं कि डॉ0 राय अमेठी में वर्ष 2006 में हुये एक कथित सामूहिक बलात्‍कार काण्‍ड में राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश में इन तीनों के शामिल होने का बयान दें। डॉ0 संतोष राय ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिश और विभिन्‍न राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्‍व को पत्र लिखकर सीबीआई की इस गैर कानूनी कार्रवाई की जानकारी दी है तथा खुद व परिवार को सीबीआई से बचाने की गुहार लगाई है।



जिस मामले में सीबीआई दबाव डालकर डॉ0 संतोष राय से मुलायम-मोदी के खिलाफ बयान दिलवाना चाहती है, वह वर्ष 2006 का है। तब अपुष्‍ट रूप से खबरें आई थीं कि अमेठी में 3 दिसंबर, 2006 को एक युवती से तथाकथित सामूहिक बलात्‍कार हुआ था। इन अपुष्‍ट खबरों के मुताबिक वह युवती कांग्रेस पार्टी की कार्यकर्ता थी और अमेठी दौरे पर गये राहुल गांधी से मिलने आई थी। कहते हैं कि उस कथित सामूहिक बलात्‍कार की घटना के बाद उस युवती ने पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया, लेकिन उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। बाद में वह युवती और उसकी मां ने दिल्‍ली आकर कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उनसे उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। प्रिंट मीडिया से गायब, लेकिन सोशल मीडिया पर बेहद चचित रहे इस कथित सामूहिक बलात्‍कार कांड में राहुल गांधी और उनके विदेशी मित्रों के नाम भी उछले थे। साइबर मीडिया में इस घटना की चर्चा के बाद कथित पीडि़ता और उसका परिवार घर छोड़ कर गायब हो गया था।

सपा नेता व पूर्व विधायक किशोर समरिते ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर पुलिस को उस युवती और उसके परिवार को प्रस्‍तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। समरिते ने अपनी याचिका में कहा था कि युवती और उसके परिवार को बंधक बनाकर रखा गया है। इसी तरह की याचिका खुद को पीडि़ता का रिश्‍तेदार बताने वाले गजेन्‍द्र पाल सिंह की तरफ से भी दाखिल की गयी थी। कोर्ट के आदेश पर पुलिसे ने उस युवती और उसके परिवार को कोर्ट के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया तो उस युवती ने बताया कि उसका नाम कीर्ति सिंह और उसके माता-पिता का नाम सुशीला और बलराम सिंह है तथा न तो उसे और न ही उसके परिवार को किसी ने बंधक बना कर रखा था। उसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पचास लाख का जुर्माना लगा दिया था और एक हाई प्रोफाईल व्‍यक्ति को बदनाम करने के प्रयास का स्‍वतंत्र संज्ञान लेते हुये मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। सीबीआई ने समरीते के खिलाफ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 181 (शपथ पूर्वक असत्‍य बयान देना), 211 ( असत्‍य आरोप लगाना) और 499-500 (बदनाम करना) के अंतर्गत मामला दर्ज किया था। समरीते ने हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपील दायर की थी। बकौल डॉ0 संतोष राय इस मामले की जांच के सिलसिले में ही सीबीआई ने मुलायम-मोदी का झूठा नाम लेने का दबाव बनाया था।



डॉ0 संतोष राय के मुताबिक वह इस मामले में न तो अभियुक्‍त हैं न ही पक्षकार। उन्‍हें इस मामले का सीबीआई से ही पता चला था। एक दिन अचानक सीबीआई ने उन्‍हें बुला लिया और तबसे वह उन पर लगातार दबाव बनाये हुये हैं। सीबीआई के डीएसपी अनिल कुमार यादव उन्‍हें अवैधानिक व गैर आधिकारिक रूप से फोन कर सीबीआई के दफ्तर बुलाते रहते हैं। डॉ0 राय के अनुसार कई बार सीबीआई दफ्तर का चक्‍कर लगाने के बाद उन्‍होंने डीएसपी से उन्‍हें गैर कानूनी ढंग से परेशान न करने को कहा तो डीएसपी ने धमकी दी कि अब व उन्‍हें कानूनी रूप से फंसा देगा, क्‍योंकि उनके पास ताकत है और वह कुछ भी झूठा केस बना सकता है। इसके बाद डीएसपी ने पूछताछ को कानूनी रूप देते हुये डॉ0 संतोष राय को भारतीय दण्‍ड संहिता प्रक्रिया की धारा 160 के अंतर्गत नोटिस भेजा, साथ ही यह परामर्श दिया कि प्रैक्टिकल बनो और सत्‍ता से मत टकराओ। सीबीआई के डीएसपी का कहना था कि उसके ऊपर इस बात का बहुत दबाव है कि वह (मुझसे डॉ0 राय से) यह बयान दिलवा दे कि मैंने मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव व कुछ अन्‍य नेताओं के कहने पर राहुल गांधी को फंसाने का प्रयास किया था। डीएसपी ने यह भी कहा था कि उस पर मुझसे अदालत में यह बयान दिलवाने की भी जिम्‍मेदारी थी। डॉ0 संतोष राय का कहना है कि 21 मार्च को जब वह सीबीआई के कार्यालय गये तो डीएसपी ने कहा कि यादवों को भूल जाओ, अब नरेंद्र मोदी का नाम लो और इकबालिया बयान दो कि मोदी के कहने पर राहुल जी को बदनाम करने की साजिश रची थी।


डीएसपी ने डींग मारते हुये कहा कि उसे पुलिस अधिकारियों, विशेषकर गुजरात के आईपीएस अधिकारियों को फंसाने में मजा आता है और गुजरात में उसके नाम का आतंक है। डीएसपी ने जोर देकर कहा था कि वह तो (पपेट) है, उसे तो ऊपर वालों के आदेश मानने हैं और ऊपर वालों के कहे अनुसार ही कर रहा है। होली से एक दिन पहले 26 मार्च को डीएसपी ने सीआरपीसी की धारा 160 के अंतर्गत 11 बजे नोटिस सर्व करवाकर डॉ0 संतोष राय को 12 बजे सीबीआई कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया, इसके साथ ही सीबीआई की एक टीम डॉ0 राय के घर पहुंच गई। डॉ0 राय ने पैंथर पार्टी के चेयरमैन और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ वकील प्रोफेसर भीम सिंह से संपर्क किया। उनके हस्‍तक्षेप के बाद सीबीआई ने डॉ0 राय को एक दिन की मोहलत दी और होली के बाद 28 मार्च को सीबीआई कार्यालय में उपस्थित होने को कहा। सीबीआई ने डॉ0 राय की कुछ जांचे भी करवाई हैं और उनकी आवाज के नमूने भी लिये हैं जिनसे उन्‍हें कुछ लाभ नही हुआ है। सीबीआई के नोटिस के मुताबिक उसे लगता है कि डॉ0 राय इस मामले से अवगत थे जबकि डॉ0 राय का कहना है कि किशोर समरीते ने उनसे फोन पर बात कर उनसे अदालती लड़ाई में मदद मांगी थी।

उन्‍होंने समरीते की अपने संगठन के अन्‍य अधिकारियों से मुलाकात करा दी थी जिन्‍होंने यह कहते हुये किसी मदद से इंकार कर दिया था कि समरीते का उनकी विचारधारा में विश्‍वास नही है। डॉ0 राय के अनुसार इसी आधार पर सीबीआई उन्‍हें एक बिलकुल ही झूठे मामले में फंसाने और उनके माध्‍यम से प्रखर हिन्‍दूवादी संगठनों को बदनाम करने की साजिश रच रही है। स्‍पष्ट है मुलायम सिंह, उनके पुत्र उ0 प्र0 के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सीबीआर्इ के रडार पर हैं। वह इन तीनों के खिलाफ विशेष रूचि दिखा रही है, अन्यथा सीबीआर्इ का एक अदना सा डीएसपी देश के तमाम दूसरे नेताओं को छोड़कर सिर्फ इन तीनों के ही नाम नही लेता। यह स्पष्ट भी है कि सीबीआर्इ का डीएसपी अपने स्तर पर इतने बड़े नेताओं के नाम झूठे मामले में शामिल करवाने का निर्णय नही ले सकता, जैसा कि वह खुद स्वीकार करता है कि वह ''पपेट'' है और उपर वालों के आदेशों का पालन कर रहा है। सीबीआर्इ के उच्च अधिकारी और उनके राजनीतिक आकाओं की पूरे मामले में संलिप्तता साफ नजर आती है। डा0 संतोष राय ने अपनी बातों की सत्यता जांचने के लिये अपना और डीएसपी का नार्को टेस्ट कराने का आग्रह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से किया है।

देश के तमाम नेताओं को छोड़कर सिर्फ तीन नेताओं को सीबीआर्इ द्वारा अपने ही हिट लिस्ट में लेने की वजह भी साफ है। संप्रग सरकार के संकट के समय 'स्टेंड बार्इ सपोर्टके रूप में हरदम तत्पर रहने वाले मुलायम सिंह अगले आम चुनाव के बाद केन्द्र में तीसरे मोर्चे की सरकार की संभावना को देखकर कांग्रेस से अलग और कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकने वाले रास्ते पर चल रहे हैं। वह संप्रग सरकार को समर्थन देते हुये भी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर कांग्रेस का विरोध करने लगे हैं। उन्होंने अपने लिये उ0 प्र0 की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 60 जीतने का लक्ष्य बना रखा है। इतनी सीटें यदि वह जीत गये तो केन्द्र की गद्दी पर उनके बैठने की संभावना काफी बढ़ सकती है। इसके परिणामस्वरूप कांग्रेस की सीटें कम होंगी। वह मुलायम को पीएम पद पर नही देखना चाहेगी। इसलिये कांग्रेस से कुछ अलग राह पर चलने की मुलायम की कसमकस के साथ ही वह और उनके पुत्र अखिलेश यादव सीबीआर्इ के हिट लिस्ट में आ गये हैं। मुलायम की वजह से ही राहुल के यूपी का मिशन-2012 फेल हुआ था और मुलायम का मौजूदा रवैया कायम रहा तो उनका मिशन-2014 भी फेल हो सकता है। कांग्रेस की बेचैनी बढ़ रही है और इसी के साथ मुलायम सिंह का डर भी। डीएमके के समर्थन वापस लेने क लगभग तुरंत बाद स्टालिन के घर पर सीबीआर्इ के छापे ने उनके डर को और बढ़ा दिया है।

जहां तक मोदी का सवाल है, वह हमेंशा से ही सीबीआर्इ के निशाने पर रहे हैं। फर्जी इनकाउण्टर के जांच के नाम पर मोदी को फंसाने की खूब कोशिशें हुयीं। उनके गृहराज्य मंत्री अमित शाह और कर्इ पुलिस अधिकारियों को जेल जाना पड़ा। लेकिन मोदी की संलिप्तता साबित नही की जा सकी। अब, जब मोदी भाजपा की तरफ प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में हैं और कांग्रेस नेतृत्व के लिये एक बड़े चुनौती बनते जा रहे हैं, तो सीबीआर्इ की उनमें नये सिरे से दिलचस्पी जगी है। उल्लेखनीय है कि डा0 संतोष राय पर अमेठी के कथित सामूहिक बलात्कार काण्ड में राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश में मोदी के शामिल होने का बयान दिलवाने का दबाव डालने वाला डीएसपी भी डींग मार रहा है कि गुजरात में उसके नाम का आतंक है और उसने वहां के कर्इ आर्इपीएस अधिकारियों को जेल की हवा खिला दी है। इस अधिकारी का यह भी दावा था कि वह अपने उच्च अधिकारियों को खुश करने के कारण 14 साल से सीबीआर्इ में डंटा हुआ है। स्पष्ट है कि ''कांग्रेस इन्वेस्टीगेशन एजेंसी’’ के रूप में बदनाम हो चुकी यह केन्द्रीय एजेंसी अब भी मोदी के खिलाफ कुछ न कुछ मामला बनाने की उधेड़-बुन में लगी है।

दिलचस्प यह है कि जिस समय सीबीआर्इ डा0 राय पर झूठा दबाव बयान देने का दबाव बना रही थी, लगभग उसी समय मोदी भाजपा की अंदरूनी बाधाओं को पार कर फिर से राष्ट्रीय क्षितिज पर अवतरित हो रहे थे। राजनाथ सिंह ने उन्हें भाजपा की सर्वोच्च डिसीजन मेंकिंग बाडी संसदीय बोर्ड में शामिल किया था। भाजपा संसदीय बोर्ड में मोदी को शामिल करने का सीधा अर्थ यह था कि वह पार्टी के शीर्ष स्तर पर होने वाले विचार-विमर्श और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सीधे तौर पर भाग लेंगे। संसदीय बोर्ड में उनके समर्थकों की भरमार है, इसलिये यह निष्कर्ष भी निकाला जा सकता है कि पार्टी की राष्ट्रीय नीतियों पर मोदी की छाप देखने को मिलेगी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उभरने के कारण उनकी और पार्टी की दुश्वारियां भी बढ़ने की आशंका है। सीबीआर्इ के अलावा कांग्रेस नेताओं की मोदी के खिलाफ घृणित भाषा में बयानबाजियां और उनकी उपलबिधयों को झुठलाने के अजीब-अजीब तर्क तो बस शुरूआत है। जैसे-जैसे राष्ट्रीय स्तर पर मोदी की सक्रियता बढ़ेगी, वैसे-वैसे उनका विरोध भी तीखा और तीव्रतर होता जायेगा। इसलिये केन्द्रीय स्तर पर उनकी सक्रियता का भाजपा और उनके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बृहत्तर हितों पर पड़ने वाले प्रभावों-दुष्प्रभावों का फूंक-फूंक कर आकलन किया जा रहा है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक यदि पार्टी के सामने यह विकल्प उपस्थित हुआ कि मोदी के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में एक बार फिर विपक्ष में बैठे या मोदी के बिना राजग के साथ सरकार बनाएं तो वह दूसरा विकल्प चुनेगी। मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने से सबसे बड़ा खतरा राजग के घटक दलों के विखरने का था, पार्टी का एक बड़ा तबका कह रहा था कि यदि राजग विखरता है, तो भी मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया जाना चाहिये और यह हुआ भी।


मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर चुनाव में उतारने वाले नेताओं का कहना है कि पूरे देश में इस समय स्पष्ट सत्ता विरोधी रूझान है। आम आदमी कांग्रेस से त्रस्त है। ऐसे में यदि एक स्पष्ट, सशक्त और सक्षम विकल्प प्रस्तुत नही किया गया तो सत्ता विरोधी वोट बंट जायेगा, जिससे न तो भाजपा को लाभ होगा न ही उसके सहयोगी दलों को। इन नेताओं के अनुसार मोदी तेजी से आम आदमी की पसंद बनते जा रहे हैं। संप्रग सरकार के कुशासन और ढेरों घपलों-घोटालों की तुलना में मोदी का सुशासन और भ्रष्टाचार से मुक्त छवि उन्हें मजबूत विकल्प बनाते हैं। इन नेताओं के मुताबिक मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर भाजपा अपने चुनावी इतिहास के सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन 182 सीटों का आंकड़ा भी पार कर सकती है। उनके नेतृत्व के कारण यदि जदयू जैसे कुछ दल भाजपा का साथ छोड़ते भी हैं तो उनके जाने से जितनी सीटों का नुकसान होगा उससे कहीं ज्यादा सीटें भाजपा जीत लेगी। यदि समर्थक नेताओं के अनुसार 1998 और 1999 में सीटों को सबसे ज्यादा 182 सीटों पर जीत मिली थी। 1998 में इनको मिले वोटों का प्रतिशत सबसे ज्यादा 25.6 प्रतिशत था, जो क्रमश: घटते-घटते 2009 में 18.8 प्रतिशत रह गया। अनुकूल परिसिथतियों में भी पिछले चुनावों में भी भाजपा का प्रदर्शन चिंताजनक था।
भाजपा के खराब प्रदर्शन के कर्इ कारणों में से एक कारण लाल कृष्ण आडवाणी का नेतृत्व भी था जो मतदाताओं में मजबूत विकल्प के रूप में उत्साह का संचार नही कर सका था। आडवाणी की अपनी छवि निर्माण की कोशिशों और जिन्ना की मजार पर मत्था टेकने को भाजपा के कोर मतदाताओं ने पसंद नही किया था। मोदी को भाजपा के कोर मतदाताओं वृहत्तर भगवा परिवार का समर्थन तो मिल ही रहा है, मंहगार्इ और भ्रष्टाचार से त्रस्त आम जनता भी उन्हें पसंद कर रही है। मोदी समर्थकों का कहना है कि इतिहास के नाजुक मोड़ पर यदि भाजपा नेतृत्व ने दृढ़ता से ही सही निर्णय नहीं लिया होता तो वह फिर ''रिवर्स गियर’’ में चल सकती थी।


भाजपा के अंदर और पूरे भगवा परिवार में मोदी समर्थकों की संख्या दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है लेकिन उनका विरोध करने वालों की संख्या भी कम नही है। मोदी विरोधी विभिन्न राजनीतिक दलों व राजग के घटक दलों के बीच उनकी स्वीकार्यता को लेकर सबसे ज्यादा सशंकित हैं। इसी आधार पर वे मोदी का सबसे ज्यादा मोदी का विरोध भी करते हैं। इस खेमें के नेताओं का कहना है यदि मोदी के बगैर राजग की सरकार बनती है तो भाजपा को यह विकल्प चुनना चाहिये। इन नेताओं का यह भी कहना है कि आज गठबंधन का युग है, इसमें सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है। दूसरे दलों से सामंजस्य बनाये बिना चुनाव जीतना या सरकार चलाना मुशिकल है इसलिये भाजपा को हर हाल में राजग की एकता को बनाये रखने का प्रयास करना चाहिये। यदि राजग की एकता कायम रही तो कांग्रेस से नाराज होकर संप्रग से बाहर निकालने वाले दल तथा अभी किसी भी गठबंधन में शामिल नही छोटे-छोटे दल राजग के साथ आ सकते हैं। अभी जहां भाजपा मजबूत नही है या जहां उनका व्यापक आधार नही है, वहां ये दल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बोर्ड में शामिल किये जाने से मोदी का कद बढ़ा है। संसदीय बोर्ड में अब जब भी कोयी चर्चा होगी तो उसमें खुद मोदी शरीक होते हैं और चर्चा खुद उनके बारे में हो तो स्वाभिक रूप से अन्य नेता खुलकर अपने विचार रखने में हिचक महसूस करेंगे। संसदीय बोर्ड की जिन बैठकों में यह मौजूद नही रहेंगे, उनमें भी उनका विरोध करने का साहस शायद ही किसी अन्य नेता में हो। लेकिन अब भी उनके लिये दिल्ली का रास्ता पूरी तरह निष्कंटक नही हुआ है।


चिकित्सक से बने हिन्दूवादी नेता
डा0 संतोष राय कटटर हिन्दूवादी नेता हैं। वैसे वह 'एपिडेमिक डिजीजेज एण्ड पबिलक हेल्थ के डाक्टर हैं, एमबीबीएस करने के बाद एम्स से एमडी किया है। लेकिन हिन्दूवादी विचारों से प्रभावित होकर वह नाथूराम गोडसे के छोटे भार्इ गोपाल गोडसे के कहने पर 1996 में हिन्दू महासभा में शामिल हो गये थे। एक कटटर हिन्दूवादी होने के नाते वह भार्इ परमानंद, डा0 बीएस मुंजे, वीर सावरकर के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं और संवैधानिक माध्यम से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना को अपना उददेश्य बताते हैं। डा0 राय की लेखन, गायन, अभिनय आदि में रूचि है। गोडसे पर एक फिल्म भी शीघ्र ही प्रदर्शित करने की उनकी एक योजना है। वह हिन्दूमहासभा के वरिष्ठ नेता हैं तथा सुप्रीमकोर्ट में राम जन्मभूमि मामले में वादी हैं।


साभार- लोकस्‍वामी, हिन्‍दी मैगजीन, पाक्षिक