Wednesday, January 4, 2012

कांग्रेस की चलती तो वर्तमान पंजाब और प0 बंगाल पाकिस्‍तान के जबड़ों में होता

वर्तमान पंजाब और प‍0 बंगाल को पाकिस्‍तान के जबड़े में जाने से किसने बचाया,

इसे जानने के लिये अवश्‍य पढ़ें:
अखिल भारत  हिन्‍दू महासभा
49वां अधिवेशन पा‍टलिपुत्र-भाग:2
(दिनांक 24 अप्रैल,1965)
हिंदू महासभा का दृष्टिकोंण सदैव सही रहा
अध्‍यक्ष बैरिस्‍टर श्री नित्‍यनारायण बनर्जी  का अध्‍यक्षीय भाषण
प्रस्‍तुति: बाबा पं0 नंद किशोर मिश्र
यद्यपि हिंदू महासभा ने अतीत से आज तक सदैव ही राष्‍ट्र का सही पथ-प्रदर्शन किया है, किंतु देश का यह दुर्भाग्‍य  रहा कि हिंदू महासभा को कभी बहुमत में जनता का समर्थन प्राप्‍त नही हो सका। गलत नेतृत्‍व का चयन करने के फलस्‍वरूप ही जनता को आज अवर्णनीय कष्‍टों तथा आपदाओं को सहन करने पर विवश होना पड़ रहा है। वर्तमान  इतिहास के कतिपय उदाहरण ही इस सत्‍य की साक्षी प्रमाणित करने के लिये पर्याप्‍त होंगे।
(1)  हिंदू महासभा ने 1935 ई0 के साम्‍प्रदायिक निर्णय (एवार्ड) को (जिसके अनुसार राजकीय सेवाओं एवं विधानमंडलों में मुसलमानों के लिये स्‍थान सुरक्षित करने की व्‍यवस्‍था की गई थी) इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि उससे राष्‍ट्र-विरोधी एवं सांप्रदायिक भावनाओं को बढ़ावा मिलेगा, किंतु कांग्रेस ने इस निर्णय को अप्रत्‍यक्षत: स्‍वीकार कर लिया। वस्‍तुत: इस निर्णय में ही पाकिस्‍तान के बीज निहित थे।
 
(2) इसी आधार पर हिंदू महासभा ने वायसराय की परिषद में हिंदुओं एवं मुसलमानों को 50-50 प्रतिशत स्‍थान दिये जाने का विरोध किया किंतु कांग्रेस ने मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिये इसे भी अस्‍वीकार कर दिया। वस्‍तुत: तुष्टिकरण की यह नीति मुसलमानों को रिझाने में सर्वथा असफल रही।
(3) 1941 में जनगड़ना का बहिष्‍कार  करने के कांग्रेस द्वारा लिये गये निर्णय पर महासभा ने आपत्ति उठायी। इस बहिष्‍कार का ही यह परिणाम हुआ देश में कृतिम  रूप से मुसलमान का प्रतिशत बढ़ाया गया और उसी बढ़े हुये प्रतिशत के आधार पर इन गलत आंकड़ों के फलस्‍वरूप ही पाकिस्‍तान को अधिक भूमिखण्‍ड की प्राप्‍त हुई।
(4) 1945 में हिंदू महासभा ने देश की जनता को सुस्‍पष्‍ट शब्‍दों में यह चेतावनी दी कि ''कांग्रेस को मत देने का अर्थ है पाकिस्‍तान के पक्ष में मतदान।'' किंतु गांधी जी और पंडित जी सरीखे कांग्रेसी नेताओं नें देश की जनता को यह विश्‍वास दिलाया कि कांग्रेस पाकिस्‍तान की स्‍थापना के लिये कदापि सहमत न होगी। किंतु अंतत: कांग्रेस ने अपनी प्रतिज्ञा भंग कर उपरोक्‍त घोषणा के एक वर्ष उपरांत ही राष्‍ट्र से खुला विश्‍वासघात करने में संकोच न किया। इस भांति महासभा की चेतावनी और भविष्‍यवाणी सत्‍य सिद्ध हुई।
(5) कांग्रेसतो संपूर्ण पंजाब और बंगाल को ही पाकिस्‍तान को सौंपने पर सिद्ध थी किंतु हिन्‍दू महासभा के प्रचण्‍ड विरोध प्रदर्शन और उसे प्राप्‍त हुये जनता के प्रभावी प्रदर्शन का यह परिणाम हुआ कि पाकिस्‍तान का  दुभाग्‍यपूर्ण विभाजन तो संभव हो गया मगर इस भांति वर्तमान पंजाब और पश्चिमी बंगाल को वर्तमान पाकिस्‍तान के जबड़ों में जाने से बचाने में हिंदू महासभा सफल रही।
(6) कांग्रेस ने पंचशील और ''हिंदी चीनी भाई-भाई'' के जयघोषों से आकाश गुंजा दिया था, और नई दिल्‍ली में चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई के राजकीय स्‍वागत का विरोध करने वाले‍ हिंदू महासभाई नेताओं को सरकार ने बंदी बनाकर राष्‍ट्र के शत्रु की मान-वंदना में पलक-पांवड़े बिछा दिये थे। किंतु इतिहास ने यह सिद्ध कर दिया कि चीन की कुचालों को समझने में हिंदू महासभा ही सफल हुई, जबकि कांग्रेस ने चीन को रिझाने की अपनी मूर्खता और सनक में तिब्‍बत की प्रभुसत्‍ता को उसे सौंप कर भारत की सुरक्षा हेतु भी गंभीर संकट उपस्थित कर दिया।