Monday, January 2, 2012

नेहरू खान वंश भाग-15


भारत देश के प्रति सोनिया का महाषणयन्‍त्र
?



अयोध्‍या प्रसाद त्रिपाठी

प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय

समय आ गया है कि आर्य एक चोर की विधवा चोरनी को राजीव फाउंडेशन के आजीवन सदस्यता और उसके धन के विदेश पलायन पर विरोध  करें। इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या इस औरत को गांधी फाउंडेशन का आजीवन अध्यक्ष बनने और उसके धन के दुरुपयोग का अधिकार है? इसके साथ ही साथ यह संपत्ति जब्त होनी चाहिए। जनता के धन का इस प्रकार दुरुपयोग रुकना चाहिए।
इस विदेशी औरत को महत्व दिया जाना, वह भी मेनका गांधी को छोड़ कर, संदेह पैदा करता है। मेनका को अपने पुत्र वरुण को गोद में लेकर आधी रात को इंदिरा आवास खाली करना पड़ा था। वह हर प्रकार से सोनिया से अधिक योग्य है। वह भी खान वंश की ही बहू है। परंतु उसके साथ वैदिक संस्कृति जुड़ी हुई है। जिसे मिटाना सबकी जरूरत है।
वैदिक संस्कृति को मिटाने के लिए ही अंग्रेजों की कांग्रेस ने इस्लाम को भारत में रखा है। मुसलमानों को आर्यों को मिटाने के लिए भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है। उन मुसलमानों को जिनका धर्म ही गैर मुसलमानों की हत्या करना व लूटना है। जहां चकमा शरणार्थियों को बंगलादेश भेजा गया वहीं मुसलमानों को राशन कार्ड और वोटर बनाया जा रहा है ताकि आर्यों की हत्या की जा सके और वैदिक सभ्यता केा मिटाया जा सके। अतः इस्लाम को इस देश से जाना ही पड़ेगा।
अत्यंत खेद है कि यह देश वर्णशंकर खान मुसलमानों द्वारा, जिन्होंने छद्म हिंदू नाम अपना लिए थे, पिछले 50 वर्षों से शासित रहा है। एक ऐसा वंश जिसने इस देश को मात्र लूट कर खोखला ही नहीं किया, बल्कि इस देश की वैदिक संस्कृति और उसके अनुयायियों को सुनियोजित और छद्म ढंग से सदा ही मिटाया है। जो भी वैदिक संस्कृति को मिटाने में सहायक रहा और जिसने भी आर्यों को कत्ल किया, उसे ही इस वंश ने इनाम दिया है। आर्यों को हिंदूनाम इस्लाम के अनुयायियों ने ही दिया है।
ईसाइयों को आज बहुसंख्यक समाज का बहुत बड़ा वर्ग अत्यंत सहिष्णु, मानवता का सेवक और विशेषकर गरीबों का हितचिंतक मानता है। इन लोगों की धारणाएं कितनी सच हैं इसका विचार आवश्यक है।
कोलम्बस ने आज से कोई पांच सौ वर्ष पूर्व जब अमेरिका का पता लगाया था। तब वहां लगभग दस करोड़ रेड इंडियन रहते थे। इन मानवता के सेवकों ने उनको समाप्त कर दिया। इसी प्रकार आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों, मेक्सिको के मायाओं, यूरोप के हीथेन और उनकी पगान संस्कृति आदि को भी इन ईसाइयों ने मिटा दिया। क्यों कि इनका ईसा मसीह कहता है,
जिस धरती को तुमने जीता है, उसके निवासियों के सभी पूजा स्थल नष्ट कर दो। जीती धरती के मूल निवासियों के देवी देवताओं के चिन्ह मिटा दो ताकि उन देवी देवताओं की कभी पूजा न की जा सके। जीते हुए शहरों के निवासियों को पूरी तरह नष्ट कर दो। बाइबल, व्यवस्था विवरण, 12:1-3.
विदेशों की तो दशा हमने आप को बताई। अब देखिए भारत में क्या हुआ? माउंटबेटन ने देश का बंटवारा भी किया और यहां की आबादी का सफाया भी। नागालैंड में ईसाइयों की नेशनल सोसलिस्ट कौंसिल आफ नागालैंड की समानान्तर सरकारें चला रही हैं। ईसाइयों की बहुसंख्या होते ही मिजोरम में मानवता के इन तथाकथित सेवक ईसाइयों ने वहां के मूल निवासी रियांगों को जीवित जलाना, उनके घरों को फूंकना और उनको लूटना प्रारम्भ कर दिया। लगभग 41 हजार बचे रियांग भाग खड़े हुए। अब वे त्रिपुरा में शरणार्थी जीवन ब्यतीत कर रहे हैं। याद रखिए! कोई ईसाई गिरफ्तार नहीं हुआ। किसी पर अभियोग चलने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता। 3 ईसाइयों को जिंदा जलाने वाले दारा सिंह पर तो 8 लाख का इनाम घोषित है। वाधवा कमीशन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर चुका है। हिंदुस्तान टाइम्स न्यायालय परिसरों में तमाम दिन बिना मूल्य समाचार पत्र बांटता रहा है। और इन रियांगों को न तो मिजोरम में पुनः बसाने के लिए कोई योजना है और न इनकी कोई खोज खबर लेने वाला है। सोनिया के सुपर प्रधानमंत्री बनते ही आप भी मरने के लिए तैयार हो जाइए। सोनिया को रोम राज्य लाना है। वैदिक संस्कृति मिटानी है।
उसी बाइबल और उसके गाड के एक मात्र तथाकथित पुत्र ईसा की धार्मिक दासी ने राजीव न्यास और इंदिरा गांद्दी राष्‍ट्रीय कला केंद्र न्यास के अरबों रूपए विदेश भेज दिए। पता ही नहीं लगता कि जिस विदेशी मुद्रा  अधिनियम के अधीन इस देश के नागरिकों पर रोज कार्यवाही होती है, इस औरत के विरुद्ध क्यों नहीं हो रही है?
अमेरिका के एकमात्र कैथोलिक राष्‍ट्रपति जान केनेडी को कत्ल कर दिया गया। हत्यारे का आज तक पता नहीं लगाया जा सका है। अमेरिकी कैथोलिक ईसाइयों पर विश्वास नहीं करते। कारण उसकी आस्था वैटिकन के पोप के प्रति होती है। राष्‍ट्र  के प्रति  नहीं। ऐसा अविश्वसनीय व्यक्ति अमेरिकी राष्‍ट्रपति बन गया, यह किसी को पहले विश्वास नहीं हुआ और फिर उसे आखिर अमेरिकियों ने रास्ते से हटा कर ही दम लिया। जब एक ईसाई ही कैथोलिकों पर विश्वास नहीं करता तो जो लोग सोनिया के पीछे हैं, वे किस हत्यारे और राष्‍ट्रद्रोही से कम हैं?
राजीव के प्रधानमंत्री बनने के पूर्व किसी ने सोनिया को किसी मंदिर में जाते नहीं देखा। दिखाने के लिए तो उसे बाबरी मस्जिद टूटने का दर्द है फिर भी वह किसी भी मस्जिद में नमाज पढ़ने नहीं जाती। जिन मंदिरों के दर्शन करने का नाटक यह औरत करती है, उसके तोड़ने वाले मुसलमानों और उनके इस्लाम का किसी ने विरोध करते उसे नहीं सुना। ईसाइयों ने इस देश को लूटा यहां शासन करते रहे उसके लिए उसने कभी किसी भारतीय से क्षमा नहीं मांगा। फिर यह कैसी भारतीय है?
यह औरत अपने को भारतीय कहती है जिसके बाप ने उसकी शादी तब तक नहीं होने दी जब तक मुसलमान राजीव ईसाई नहीं बन गया। जो औरत आज तक कैथोलिक ईसाई ही है। जिसने अपनी बेटी बियांका उर्फ प्रियंका भी ईसाई से ही ब्याही। वही औरत अपने को भारतीय कहती है और मंदिरों में जाती है। वह भी तब जब उसके द्वारा नियुक्त भाषणकर्ता सीता देवी को वैश्या? कहते हैं। उसी वैश्या के दर्शन करने ही यह मंदिरों में जाती है। इसका अर्थ यही है कि आर्यों को ठगा जा रहा है। यह प्रधानमंत्री बनने पर क्या करेगी? बताने की जरूरत नहीं है।
इस औरत को आर्यों को असहिष्णु धार्मिक बताने का क्या अधिकार है जिसके अपने कौम ने दूसरे के देवताओं को सदा अपमानित किया है। जो लूटने और हत्या करने के लिए अपने साम्राज्य बढ़ाते रहे हैं। आर्यों ने किसी देश पर हमला ही नहीं किया और न किसी का धर्मान्तरण ही कराया।
अगर सोनिया सचमुच सर्वधर्म समभाव में विश्वास करती है तो उसे बताना चाहिए कि वैदिक संस्कृति सर्वोत्तम संस्कृति है। यह संस्कृति किसी को आर्थिक और या धार्मिक दास नहीं बनाती है। सम्पत्ति का स्वामित्व व उपासना की आजादी देती है। यह संस्कृति किसी का धर्मान्तरण कराने और किसी की भूमि पर शासन करने में विश्वास नहीं करती। तब उसे अपनी औकात का पता लग जाएगा। याद रहे कि अभी हाल में ही एक पादरी को श्री लंका से मात्र इसलिए निकाल दिया गया था कि उसने लिखा था कि दूसरे धर्म भी ईसाई धर्म की तरह अच्छे हो सकते हैं।
सच तो यह है कि जब तक धरती पर भारतीय संविधान, कुरआन व बाइबल है, मानव जाति संकट में है।
क्रमश:
मानव रक्षा संघ प्रकाशन
अनुवादकः अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मूल लेखक: अरविंद घोष