Wednesday, May 30, 2012

शहीद रामप्रसाद बिस्मिल



नेहरू खान  वंश भाग-27


अयोध्‍या प्रसाद त्रिपाठी


प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय








कारण यह है कि राज्यपाल की नियुक्ति नागरिकों को लूटने के लिए की गई है, वह भी संविधान के अनुच्छेद 39ग व लुप्त अनुच्छेद 31 से प्राप्त असीमित अधिकार से। जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम, राज्यपाल टीवी राजेश्वर और मुख्य सचिव नवीन चंद्र बाजपेई हुतात्मा रामप्रसाद बिस्मिल स्मारक की 3.3 एकड़ भूमि देश हत्यारे मुसलमानों के हाथ 33 करोड़ रूपए में बेच चुके हों, जिसके बलिदान के कारण सत्ता में हैं, वह राज्यपाल बाकी किसे छोड़ेगा, इसका अंदाजा सहज ही लग जाता है।
इतिहास साक्षी है कि ईसाई छद्म युद्ध का आदी है। ईसाई का अस्त्र दिखाई नही ँ देता। आप की हत्या के लिए ईसाई स्वयं आप के निकटतम सम्बन्धी का प्रयोग करता है। प्रमाण तो भरे पड़ें हैं, लेकिन मैं दो ही दूंगा।
माउंटबेटन स्वयम् राज्य कुल का सदस्य था। ब्रिटिश नेवी का सर्वोच्च अधिकारी रह चुका था और भारत का वाइसराय भी। आप अपनी पत्नी किसी को नहीँ सौंप सकते, लेकिन उसने एडविना को नेहरू के हवाले कर दिया। गांधी तो पहले ही उसका दास था। ईसा के आदेश (बाइबल, लूका 1927) का सम्मान करते हुए उसने 4 करोड़ से अधिक हिंदू व मुसलमान विस्थापित कराए। 35 लाख से अधिक लोगोँ की हत्या कराई। (बाइबल, लूका 1927) नारियों का बलात्कार कराया और देश का बंटवारा भी। अभी भी ईसाई चुप नहीँ है।
इसके अतिरिक्त दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं 196197 व सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के द्वारा मुसलमानों, ईसाइयों व जनसेवकों को सुरक्षा कवच देकर नागरिकों को दास बनाए रखने, लूटने, जाति संहार करने और नारियों का बलात्कार कराने का उत्तरदायित्व वहन करना प्रेसीडेंट व राज्यपालों का ही कार्य है।
भारतीय दंड संहिता की धाराओं 108, 153, 295 आदि जैसे आपराधिक कार्यों को संरक्षण देने के लिए इन प्रेसीडेंट व राज्यपालों को, अपने अधीन बंधुआ कठपुतली न्यायपालिका को सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 और दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं 196197 के अधीन अभियोग चलाने अथवा संरक्षण देने के संस्तुति का अधिकार दिया गया है। बिना प्रेसीडेंट व राज्यपालों की संस्तुति के बंधुआ कठपुतली जज किसी ईसाई व मुसलमान पर अभियोग भी नहीं चला सकता।
लेकिन कैसे?
प्रेसीडेंट व राज्यपालों की नियुक्ति मुसलमानों द्वारा पुलिस के संरक्षण में अजान दिला कर आर्यों के आस्था व ईश्वर का अपमान कराने, मंदिर तुड़वाने, {(कुरआन, बनी इसराइल 1781) (बाइबल, व्यवस्थाविवरण 121-3)} जो ईसा को राजा न माने उसे कत्ल कराने, (बाइबल, लूका 1927) जो अल्लाह के अतिरिक्त अन्य देवता की उपासना करे, उसे कत्ल कराने, (कुरआन 2198) भारत को ईसाई राज्य बनवाने (बाइबल, लूका 1927) अथवा इस्लामी राज्य बनवाने, (कुरआन 2255) नारियों का उनके पुरुषों के आंखों के सामने बलात्कार कराने, गैर ईसाई दुधमुहों को पटक कर मरवाने आदि के लिए की जाती है। (बाइबल, याशयाह 1316). यही सब अपराध इस्लाम व ईसाइयत संस्कृति है, जिन को बनाए रखने के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए {भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29(1)} प्रेसीडेंट व राज्यपालों को भारतीय संविधान के अनुच्छेदों 60159 के अधीन विधिवत शपथ लेनी पड़ती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29(1) की शर्त है कि हर मुसलमान व ईसाई को अपने लूट {(बाइबल ब्यवस्था विवरण 2013-14), (कुरआन 81, 4169)}, हत्या {(बाइबल, लूका 1927), (कुरआन 817)}, नारी बलात्कार {(बाइबल, याशयाह 1316), (कुरआन 424236)}, मंदिर तोड़ने {(बाइबल, व्यवस्थाविवरण 121-3), (कुरआन, बनी इसराइल 1781)} और जाति हिंसा {(बाइबल ब्यवस्था विवरण 2013-14) व (कुरआन 839)} की संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार होगा। इन अधिकारों को देने वाले भारतीय संविधान की रक्षा का दायित्व प्रेसीडेंट व राज्यपालों पर ही है। यानी प्रेसीडेंट व राज्यपालों की नियुक्ति ही भारतीय दंड संहिता की धारा 108 के अंतर्गत अपराधों के दुष्प्रेरण के लिए की जाती है। अजान भारतीय दंड संहिता के धाराओं 153295 के अधीन संज्ञेय अपराध है। अजान मुसलमानों व गैर मुसलमानों के बीच मजहब के आधार पर शत्रुता उत्पन्न करता है। लेकिन सन 1947 से आज तक प्रेसीडेंट व राज्यपालों ने किसी अजान लगाने वाले इमाम के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153299 के अधीन अभियोग चलाने की संस्तुति नहीं दी, जब कि दिल्ली पुलिस आयुक्त से भारतीय दंड संहिता के धारा 99 के अंतर्गत सुरक्षा मांगने के कारण मेरे विरुद्ध 153बी व 295ए के अधीन पुलिस ने अभियोग चलाए। मै 26.2.2005 को आरोप मुक्त भी हुआ लेकिन अजान आज तक बंद नहीं हुई।
जिस भी बुद्धिजीवी या कलाकार ने मुहम्मद का विरोध किया, उसको मुहम्मद ने कत्ल कराया। आज भी बाइबल या कुरआन का विरोध ईशनिंदा है, जिसके लिए मृत्युदंड निर्धारित है। भारत में यह उत्पीड़न प्रेसीडेंट व राज्यपालों द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 से संरक्षित है। यही वह भय है, जिसके कारण कोई अजान का विरोध नहीं करता और कोई भी प्रकाशक मुहम्मद के कार्टूनों को प्रकाशित करने का साहस नहीं जुटा पाता। यद्यपि अजान भारतीय दंड संहिता की धाराओं 153295 के अधीन संज्ञेय अपराध है, लेकिन किसी भी राष्ट्रपति, राज्यपाल अथवा जिलाधीश के पास इतना साहस नहीं कि किसी इमाम के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 के अधीन कार्यवाही कर सके। भय आश्चर्यजनक रूप से मानव जाति के संहार का कारण बना हुआ है।
राज्यपाल लोग आर्यों को संकीर्णतावादी कहते हैं। राज्यपालों के अनुसार आर्यों को अपनी और देश की हत्या करने वालों, उनको कत्ल करने वालों, उनकी नारियों का बलात्कार करने वालों और उनके दुधमुंहे बच्चों को पटक कर मार डालने वालों को गले लगाना चाहिए। उनकी नमाज {‘‘ला इला ह इलल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह’’ (हरदिल अजीज नमाज नामक पुस्तक में इसका तर्जुमा बताया गया है, ‘‘अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक नहीं, मुहम्मद सल्ल. अल्लाह के रसूल हैं।’’ और कुरआन कहता है, ‘‘98. कहा जाएगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे जहन्नम का ईंधन हो। तुम अवश्य मौत के घाट उतरोगे। कुरआन 21. सूरह अल-अंविया आयत 9822. और उससे बढ़ कर जालिम कौन होगा जिसे उसके रब की आयतोंके द्वारा चेताया जाए, और फिर वह उनसे मुंह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है। कुरआन 32. सूरह अस-सजदा आयत 22’’),} का आर्यों को सम्मान करना चाहिए। क्यों कि इन शरणार्थियों व संघ सरकार के अनुसार यही अल्लाह और उसके अनुयायी मुसलमान सच्चे पंथनिरपेक्ष हैं और आर्य व गैर मुसलमान घोर सांप्रदायिक? यही अल्लाह, जो अन्य धर्मावलंबियों को कत्ल करता है, गांधी का ईश्वर है! यही अल्लाह के आदेशों का संकलन आसमानी किताब कुरआन जो कत्ल करने, लूटने, बलात्कार करने और गैरमुसलमानों और गैर मुसलमान देशों को इस्लाम में परिवर्तित करने की निर्देशिका है, महान पंथनिरपेक्ष किताब है। इस्लाम और उसके अनुयायी मुसलमान महान पंथनिरपेक्ष हैं? इन हत्यारों को भारत में रखने वाले कांग्रेसी, जिन्होंने मुसलमानों से मिलकर देश की हत्या कराई और अब भी करा रहे हैं, ही सच्चे पंथनिरपेक्ष व सच्चे देशभक्त नेता हैं और आर्य सांप्रदायिक तथा राष्ट्रशत्रु। यही देश पर शासन कर सकते हैं क्यों कि यही गैर मुसलमानों को कत्ल करा सकते हैं। 1947 में देश का विभाजन कराने वाले ए देश हत्यारे कांग्रेसी, जिन्होंने गैर मुसलमानों की हत्या कराने, लुटवाने, गैर मुस्लिम नारियों का बलात्कार कराने और इस बचे खुचे देश को इस्लामी राज्य बनवाने के लिए ही, जैसा कि मुसलमान कश्मीर में कर चुके और आज भी जम्मू में कर रहे हैं, मुसलमानों को भारत में पंथनिरपेक्ष बना कर रखे हुए हैं। वह भी उन मुसलमानों को जिन्होंने कहा था कि वे अलग राष्ट् हैं और गैर मुसलमानों के साथ भारत मे नहीँ रह सकते! भाजपा को भी गैर मुसलमानों के इस लूट और हत्या में कोई बाधा नहीँ डालनी है। यही समन्वयवाद है। जानवरों के और गैर मुसलमानों के मानवाधिकार नहीँ होते। यह बात कश्मीरी गैर मुसलमानों का अपने ही देश में शरणार्थी बनना सिद्ध कर चुका है।
मानव रक्षा संघ प्रकाशन
अनुवादकः अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मूल लेखक: अरविंद घोष