Wednesday, December 5, 2012

नेहरू और एडविना में जिस्‍मानी रिश्‍ते थे



लंदन. आधुनिक भारत की नींव डालने वाले भारत के सबसे कद्दावर राजनेताओं में शुमार और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और भारत में ब्रिटेन के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटेन की पत्नी एडविना माउंटबेटेन के रिश्तों को लेकर इंग्लैंड में फिर से बहस छिड़ गई है।  बहस की शुरुआत एडविना की बेटी पामेला माउंटबेटेन ने खुद की है। लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना की बेटी पामेला हिक्स ने हाल ही में प्रकाशित अपनी आत्मकथा 'डॉटर ऑफ एम्पायर' में नेहरू और अपनी मां के रिश्तों पर विस्तार से लिखा है।

                                       

डेली मेल से बातचीत में एडविना की बेटी पामेला ने कहा, 'पंडित जी (नेहरू) के रूप में उन्हें एक साथी मिला था। नेहरू के तौर पर उन्हें आध्यात्मिकता और ज्ञान वाला ऐसा साथी मिला था, जिसके लिए वे हमेशा ही बेचैन थीं।' खुद 83 साल की हो चुकीं पामेला को लगता है कि नेहरू ('माउंटबेटेन के प्रभाव में काम करते थे नेहरू') और एडविना के बीच रिश्ता आध्यात्मिक था न कि सेक्सुअल। पामेला ने लिखा है, 'एडविना और नेहरू के पास इतना वक्त नहीं था कि वे किसी जिस्मानी रिश्ते में उलझें। दोनों की ज़िंदगी बेहद सार्वजनिक थी और वे बहुत मुश्किल से अकेले होते थे।' पामेला के मुताबिक नेहरू की चिट्ठियों को देखने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी मां और नेहरू के बीच कितना गहरा प्रेम था। (घोषणाओं से आगे नहीं बढ़ पाती हैं नेताओं पर बनने वाली फिल्में)

                                                                                                        


लेकिन भले ही एडविना की बेटी अपनी मां और नेहरू के रिश्ते को स्पिरिचुअल बताती हैं, लेकिन कई जानकार यह दावा करते हैं कि दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ते भी थे। 'एडविना एंड नेहरू:  अ नोवल' नाम किताब 1993 में लिख चुकीं मशहूर फ्रेंच लेखिका और दार्शनिक कैथरीन क्लेमेंट दावा करती हैं कि नेहरू और एडविना का रिश्ता सेक्सुअल भी था। जीवन के 7 दशक पार कर चुकीं कैथरीन एक अंग्रेजी अख़बार से बातचीत में कहा था,  'लॉर्ड माउंटबेटेन को लिखी चिट्ठियों में एडविना ने बताया था नेहरू से उनका रिश्ता ज़्यादातर आध्यात्मिक था। लेकिन ज्यादातर, हमेशा नहीं।
लॉर्ड माउंटबेटेन ने दी थी छूट!



भारत में ब्रिटेन के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है, 'एडविना के पति लॉर्ड लुइस माउंटबेटेन को भी नेहरू और अपनी पत्नी के रिश्ते के आध्यात्मिक पक्ष को समझा और एडविना को आज़ादी दी। लॉर्ड माउंटबेटेन के लिए एडविना की नई दिलचस्पी (नेहरू) एक राहत की बात थी।' पामेला के मुताबिक, 'एडविना की नई खुशी (नेहरू के साथ रिश्ते से उपजी) ने एडविना को देर रात होने वाली लड़ाइयों और वाद-विवाद से छुटकारा दिला दिया था।' पामेला का कहना है कि एडविना अपने पति पर यह आरोप लगाती थीं कि वे उन्हें समझ नहीं पाते हैं और नजरअंदाज करते हैं।




कैजुअल सेक्स थी एडविना की पसंद!





पामेला हिक्स का कहना है कि नेहरू और एडविना एक दूसरे से बहुत ज़्यादा प्यार करते थे। ब्रिटिश अख़बारों में प्रकाशित पामेला की किताब के अंशों से पता चलता है कि एडविना सेक्स के मामले में बहुत प्रयोगधर्मी थीं और अलग-अलग पार्टनरों से 'कैजुअल सेक्स' करती थीं अपनी इच्छा के मुताबिक प्रेमियों को अपने पास बुलाती थीं। लॉर्ड माउंटबेटेन को इन बातों का अंदाजा था। किताब के मुताबिक माउंटबेटेन और एडविना की शादीशुदा ज़िंदगी में एक ऐसा दौर भी आया था जब खुद लुइस माउंटबेटेन ने अलग-अलग पार्टनरों से प्रेम करने के मामले में अपनी पत्नी को चुनौती देते हुए एक पार्टनर बनाया था।



साभार: दैनिक  भास्‍कर



Wednesday, May 30, 2012

‘प्रेस की स्वतंत्रता’ पर श्री जान स्वींटन



नेहरू खान  वंश भाग-28


अयोध्‍या प्रसाद त्रिपाठी


प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय





‘‘कुछ शताब्दियों पूर्व प्रेस राज्य का चौथा स्तंभ माना जाता था; अन्य तीन स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका थे। अंततः प्रेस की सच्चाई व सम्पूर्णता अधोगति की ओर जा रही है।’’ न्यूयार्क टाइम्स के पूर्व समाचार कर्मचारी समूह के प्रमुख ने अपने भाषण में 1953 में ही निम्नलिखित तथ्यों को स्वीकार किया था, ‘‘स्वतंत्र प्रेस नाम की कोई चीज नहीँ है। इसे आप जानते हैं और मै भी जानता हूं। आप लोगोँ में से ऐसा कोई नहीँ जो सच्चाई के साथ अपने विचार लिख सके। मुझे अपने सच्चे विचार अपने समाचार पत्र से बाहर रखने के लिए मूल्य दिया जाता है।
‘‘आप में से कोई भी महामूर्ख होगा, जो अपने सच्चे विचार लिख कर सड़क पर आ कर दूसरी नौकरी ढूंढ़ने लगे... पत्रकार का पेशा सत्य को नष्ट करना है; स्पष्टतः झूठ लिखना; विकृत कर देना; बदनाम करना है ... हम पर्दे के पीछे से धनिकों के लिए काम करने वाले उपकरण व मातहत हैं ... हम बौद्धिक वैश्याएं हैं’’
अतएव हम वैदिक पंथियों को सम्पादकों की दुष्चरित्रता पर विलाप नहीँ करना चाहिए। इनके पास तो इस बात के लिए भी लज्जा नहीँ है कि आर्थिक ठगिनी प्रतिभा व एंटोनिया का राजनैतिक व मजहबी दायित्व ही इनकी नारियों का बलात्कार, वह भी इनकी आखों के सामने, इनके सम्पत्ति की लूट, इनकी हत्या, जाति संहार और इनकी संस्कृति का समूल नाश है।
अपने 18 वर्षों की पत्रकारिता में मैने सत्य लिखने के बदले 42 बार हवालातों में रातें काटी हैं। न्यायिक बंदी रहा हूं। अपने पत्रिका पर अर्थदंड लगवाया है। वह सत्य यह है कि हर मुसलमान व ईसाई स्वेच्छा से बना महामूर्ख दास व जघन्य अपराधी है। भारतीय संविधान, कुरआन व बाइबल अपराध संहिताएं हैं। अल्लाह, ईसा व जेहोवा दुर्दान्त अपराधी हैं। यदि इस्लाम और ईसाइयत धरती पर रहे तो मानव जाति नष्ट हो जाएगी। ईसाइयत व इस्लाम को भारत में रहने देना ही धोखाधड़ी है। जहां आर्यों ने विश्व के सभी संस्कृतियों को शरण दिया, वहीं ईसाइयत व इस्लाम ने जहां भी शरण ली, आक्रमण या घुसपैठ की, उस भूभाग की मूल संस्कृति को नष्ट कर दिया। भले ही संस्कृति को मिटने में सैकड़ों वर्ष लगें, लेकिन ईसाइयत व इस्लाम विफल नहीँ होते। माउंटबेटन, गांधी व नेहरू ने आंशिक बची वैदिक संस्कृति को मिटाने के लिए ईसाइयत व इस्लाम को भारत में रखा है? ईसाइयत व इस्लाम के धरती पर रहते मानव जाति को डायनासोर की भांति नष्ट होने से कोई नहीं रोक सकता। मानव जाति को मिटाने की रही सही कमी भारतीय संविधान का संकलन कर के पूरी कर ली गई है।
‘‘मीडिया कर्मी, मानवाधिकार आयोग, गैर सरकारी संगठन, सरकारी सेवक और कथावाचक, जिस अमानवीय अपराध के लिए मानव मात्र को दोष देते हैं, वे वही अपराध स्वयं कर रहे हैं। जिन मनगढ़ंत मजहबों की मूसा, ईसा व मुहम्मद ने आतंक के बल पर स्थापना की और स्वयं को आतताई देवताओं का बिचौलिया बना लिया, उनको शांतिप्रिय मजहब बता कर यह लोग आत्म घात कर रहे हैं। जिहाद को आतंकवाद व मिशन को धर्म प्रचार कहना और यह प्रचारित व प्रेरित करना कि इस्लाम व ईसाइयत शांतिप्रिय व न्यायप्रिय मजहब हैं, कुछ सिरफिरे मुसलमान व ईसाई अन्यथा इन मजहबों को बदनाम कर रहे हैं, स्वयं को व मानव जाति को धोखा देना है।’’ विद्वान अतिरिक्त शेसन जज श्री राजीव मेहरा का निर्णय दिनांक 26.2.2005
भारतीय संविधान के संकलन का आधार
भारतीय संविधान का संकलन इस आधार पर किया गया है कि आर्यों यानी तथाकथित हिंदुओं की कोई संस्कृति नहीं है। न उनका कोई देश है। वे मध्य एशिया से आए हुए बर्बर आक्रांता हैं। वैदिक संस्कृति आदिम बर्बर जातिगत अपसंस्कृति है। जो जाति के आधार पर नीची जातियों का शोषण करती है। जब कि जो ईसा को राजा न स्वीकार करे उसे कत्ल कराने वाला (बाइबल, लूका 1927), मनुष्य के पुत्र का मांस खाने व लहू पीने वाला (बाइबल, यूहन्ना 653) और तलवार चलवाने वाला
(बाइबल, मत्ती 1034) ईसा मानव-प्रेम का आदर्श है। धर्म के आधार पर शत्रुता पैदा करने वाली अजान, पंथ निरपेक्ष पूजा है। वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत आदि गरड़ियों के गीत हैं। इन्हें नष्ट कर दिया जाना चाहिए। बलात्कार, लूट, दुधमुहों की हत्या (बाइबल, याशयाह 1316), धर्मान्तरण कराने वाले की हत्या करने की शिक्षा देने (बाइबल, ब्यवस्थाविवरण 136-11) वाली बाइबल पंथनिरपेक्ष पुस्तक है।
राम, कृष्ण आदि काल्पनिक चरित्र हैं। इनके उपासक बर्बर और जाहिल लोग हैं। सर्वधर्म समभाव के लिए आवश्यक है कि इनको कत्ल कर दिया जाए। (कुरआन 2216) व (कुरआन 839) मूर्तिपूजकों व जो ईसा को राजा स्वीकार नहीं करता, उनको भी कत्ल कर दिया जाना चाहिए। (बाइबल, निर्गमन 2035) व (बाइबल, लूका 1927).
मंदिर और मूर्तियां आदि बर्बर मानव द्वारा कल्पित सैतानी चिन्ह हैं। इनको नष्ट कर दिया जाना चाहिए। (बाइबल, व्यवस्थाविवरण 121-3) मंदिर व मूर्तियों के बहुदेव उपासकों को कत्ल कर दिया जाना चाहिए। (बाइबल, निर्गमन 2035) व (कुरआन, बनी इसराइल 1781 व सूरह अल-अंबिया आयत 2158).
व्यक्ति द्वारा अर्जित सम्पत्ति सर्वहारा के श्रम का प्रतिफल है। सरकारों द्वारा उसे छीन लेना चाहिए। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29(1) 39(ग) इसी आधार पर संकलित हुए हैं और अनुच्छेद 31 को लुप्त भी किया गया है। मानवमात्र पशु से भी गया बीता है।
जो भी इस भारतीय संविधान की शपथ लेता है-यह स्वीकार करता है कि प्रत्येक नारी का बलात्कार होना चाहिए। (बाइबल, याशयाह 1316) व (कुरआन 424236). भारतीय संविधान {भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29(1)} के साथ पठनीय. किसी नागरिक के पास सम्पत्ति नहीं रहनी चाहिए। सम्पत्ति समाज की रहेगी। {भारतीय संविधान के नीति निदेषक तत्व. अनुच्छेद-39} पंथनिरपेक्ष जेहोवा व अल्लाह के सम्मान में सारी मूर्तियाँ तोड़ डाली जानी चाहिएँ। (कुरआन, बनी इसराइल 1781) व (बाइबल, व्यवस्थाविवरण 121-3) {भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29(1)} के साथ पठनीय।
पुलिस कर्मियों, राज्यपालों व जजों की नियुक्ति इसलिए हुई है कि जो भी इन सच्चाइयों को लिखे या कहे उसे पुलिस पीटे। जज जेल भेजें। मत देकर भी आप इस स्थिति को नहीं बदल सकते। दंड प्रक्रिया संहिता की धाराएँ 196197 और व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 80.
ईश्वरीय आदेश व संवैधानिक अधिकार {भारतीय भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29(1)} से मानव मात्र को दास बनाकर किसान के पशु की भाँति, हिंदुओं की सम्पत्ति लूटने, हिंदुओं का धर्म मिटाने और नारियों का बलात्कार कराने के लिए सोनिया सत्ता के शिखर पर बैठी है।
यदि सुपर प्रधानमंत्री एंटोनिया माइनो उर्फ सोनिया गांधी सत्ता के शिखर पर है तो भारत ईसाई राज्य बनेगा। (बाइबल, लूका 1927) न वैदिक संस्कृति बचेगी, न मंदिर बचेंगे, न राममंदिर बनेगा और न राम सेतु बचेगा। (बाइबल, व्यवस्थाविवरण 121-3). नारी का बलात्कार या तो ईसाई करेगा (बाइबल, याशयाह 1316) अथवा मुसलमान (कुरआन 424236). उपरोक्त सच्चाइयों को लिखने का 15 अगस्त सन् 1947 से आज तक साहस किसी ने नहीं किया। करता भी कैसे। उपरोक्त सच्चाइयों को लिखने के कारण मैने 42 बार हवालात व जेल की यात्राएं की हैं। जबतक होश में रहा पुलिस के डंडे खाए हैं। तिहाड़ जेल में मुझे जहर दिया गया है।

यदि आप चाहें तो वैदिक सभ्यता का उदय हो सकता है। वैदिक सभ्यता के सूर्य के उदय होते ही लूट का माल अल्लाह काऔर सम्पत्ति समाज कीका दासवादी प्रभाव मिट जाएगा। आप किसी भी देवता की उपासना के लिए स्वतंत्र होंगे। नारियों का बलात्कार और समलैंगिक दुराचार समाप्त हो जाएंगे.
अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मानव रक्षा संघ प्रकाशन
अनुवादकः अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मूल लेखक: अरविंद घोष