अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
प्रस्तुति: डॉ0 संतोष राय
क्या संसद व मीडिया यह जानते हैं कि आतताई अंग्रेजों की कांग्रेस ने व्यवस्था इस प्रकार बना दी है कि नागरिक चाहे एंटोनिया माइनो उर्फ सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाएं या प्रतिभा को अथवा अडवानी या मायावती को। किसी भी नागरिक के पास विकल्प नहीं है। सम्पत्ति समाज व आतताई लोक/लूट तंत्र की ही रहेगी। लूट का माल ईसाई व अल्लाह का ही रहेगा। धरती की नारियाँ, शासन और सम्पत्ति तथाकथित अल्पसंख्यक मुसलमानों व ईसाइयों की ही रहेँगी। भारत दार उल हर्ब और शैतानों का देश ही रहेगा। न मंदिर बचेगा, न वैदिक संस्कृति और न भारत ही! जजों सहित किसी का जीवन सुरक्षित नहीं। या तो उसकी हत्या ईसाई करेगा अथवा मुसलमान। यहाँ तक कि जीवन स्वयं ईसाई व मुसलमान का भी सुरक्षित नहीं। किसी नारी का शील सुरक्षित नहीं। या तो उसका बलात्कार ईसाई करेगा अथवा मुसलमान। क्या मीडिया को भी जानकारी है?
भारतीय संविधान, जो प्रत्येक ईसाई व मुसलमान को अपनी संस्कृति सुरक्षित रखने का अनुच्छेद 29(1) द्वारा असीमित मौलिक अधिकार देता है - जिस पर किसी का जोर नहीं, के मर्यादा की रक्षा की शपथ लेने वाले कितने राज्यपालों व बनाए रखने वाले कितने जजों को बाइबल व कुरआन के सिद्धांतों का ज्ञान है? अफगानिस्तान व ईरान मे लड़ने वाले कितने रणबाकुरों, राजनीतिज्ञों व संविधान की शपथ लेने वाले अथवा कानून के रखवाले कितने लोगों को बाइबल व कुरआन के सिद्धांतों का ज्ञान है? वह स्कूल बता दीजिए, जहाँ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 के अधीन संस्तुति देने वाले किसी राष्ट्रपति, राज्यपाल अथवा जिलाधीश को बाइबल व कुरआन के सिद्धांतों की शिक्षा दी जाती है? 1947 के बंटवारे व जातिसंहार और 712 से आजतक के इस्लामी नरसंहार की शिक्षा कहां दी जाती है? बाइबल व कुरआन के घातक मानव द्रोही सिद्धातों का किसे ज्ञान है?
मालेगांव मस्जिद विस्फोट मामले की 4500 पन्नों की चार्जषीट मेरे वेबसाइट आर्यावर्त बेबसाइट पर है। जिस मोटरसाइकिल से विस्फोट होना बताया जाता है, उसका इंजिन व चैसिस नम्बर मिटाया हुआ है। देखें सचिव चितकला जुत्षी की स्वीकृति पृष्ठ ए-1/88 पर। संदेह का लाभ किसे मिलना चाहिए? प्रकृति न किसी को दंड देती है और न पुरस्कार। जो कुकर्म जज कर रहे हैं और जिन आतताइयों इस्लाम व ईसाइयत की रक्षा के लिए कर रहे हैं, वे ही उनके विनाश के कारक बनेंगे! जजों के दुधमुहों को सोनिया पटक कर मरवा डालेगी। जजों के घर लूट लिए जाएंगे। जजों की नारियां जजों के आखों के सामने बलात्कारित की जाएंगी। (बाइबल, याशयाह 13ः16) और अंत में जजों को सोनिया कत्ल करवा देगी। वह भी जजों के स्वयम् के निर्णय से। (एआईआर, 1985, कलकत्ता उच्च न्यायालय, 104).
यदि अल्लाह सर्वसमर्थ विश्व का रचयिता है, तो उसने काफिर क्यों पैदा किए? पहले काफिरों को पैदा करना और फिर स्वयम् अपने ही पैदा किए काफिरों के हत्यारे मुसलमान पैदा करना अल्लाह को अपराधी कसाई सिद्ध करता है और अल्लाह के सर्वसमर्थ होने का प्रमाण नहीं हो सकता विशेषतः तब, जब अल्लाह यह स्पष्ट कर देता हो कि तुमने यानी मुसलमानों ने कत्ल नहीं किया, बल्कि अल्लाह ने कत्ल किया... (कुरआन 8ः17).
प्रजातंत्र के उपरोक्त खलनायकी व्यवहार ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रजातंत्र एक अत्यंत आत्मघाती व्यवस्था है। मानव जाति की रक्षा के लिए प्रजातंत्र का समूल नाश आवश्यक है। भगवान परशुराम ने आर्यावर्त सरकार व वैदिक संस्कृति की स्थापना की है। अमृतानंद ने आर्यावर्त सरकार के महाराज का चयन कर लिया है। कृपया महाराज के राज्याभिषेक में साथ दें। हमने आर्यावर्त सरकार का गठन किया है। जिसे ससम्मान जीवित रहना हो, हमसे मिलें-अन्यथा मरने के लिए तैयार रहें।
मात्र एक करोड़ से भी कम यहूदियों का अपना देश इजराइल है और लगभग एक अरब हिंदुओं का कोई देश नहीं। जब कि हमारे ही भारत के दो खंडों पर दो इस्लामी राज्य हैं। विश्व की सभी संस्कृतियों को वैदिक संस्कृति ने शरण दिया है। वे ही संस्कृतियों जीवित हैं, जिन्होंने वैदिक संस्कृति का सहारा लिया। शेष नष्ट हो गईं। माववता की रक्षा के लिए इस वैदिक संस्कृति को मिटाने से बचें।
भारतीय संविधान के अधीन सृजित प्रेसीडेंट व राज्यपालों के अधीन कार्यरत भ्रष्टाचारी और आतंकवादी जज सहित जनसेवकों की एक फौज है। नागरिकों को लूटने, अपने अधीन रखने और ईसाइयत व इस्लाम की रक्षा करने, ताकि मानव जाति ही डायनासोर की भांति समाप्त हो जाए, के लिए ईमामों, मिशनरियों व जनसेवकों को दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं 196 व 197 व व्यवहार प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के अधीन प्रेसीडेंट व राज्यपाल संरक्षण देते हैं। यह संरक्षण तब तक जारी रहता है, जब तक मंदिर टूटते हैं, सैनिक मारे जाते हैं, तथाकथित हिंदू कत्ल होते और अपनी मातृभूमि से उजाड़े जाते हैं, ईमाम अजान देते हैं और तथाकथित जनसेवक नागरिकों को लूट कर सोनिया व मनमोहन तक हिस्सा पहुंचाते हैं। जब हिस्सा नहीं पहुंचता तब जनसेवकों द्वारा कृत कार्य भ्रष्टाचार बन जाता है। जिस हुतात्मा रामप्रसाद बिस्मिल के बलिदान के कारण यह लोग सत्ता में हैं, उ0प्र0 के राज्यपाल ने उसी की जमीन हड़प लिया।
यहूदीवाद, ईसाइयत व इस्लाम सभी सभ्यताओं से अपने अधीनता की स्वीकृति को अपरिहार्य मानते हैं। (अजान, कुरआन 2ः191-194 व 8ः39) व (बाइबल, लूका 19ः27). पंथनिरपेक्षता इनके पवित्र धर्मान्धताओं के दोगले चरित्र के आगे बौनी है। विद्वतजन व मीडिया इसे बल पूर्वक छिपाते हैं।
ईसाइयत व इस्लाम के दोहरे चरित्र भयानक रूप से छली हैँ और इतर धर्मावलम्बियों को केवल दो विकल्प दासता या मृत्यु देते हैँ। इतर धर्मावलम्बियों के साथ यह लोग उतना ही अच्छा व्यवहार कर सकते हैँ, जितना अच्छा व्यवहार एक किसान अपने पशुओं के साथ करता है, लेकिन इतर धर्मावलम्बी उनके भाई या मित्र कभी नहीँ हो सकते। एक मुसलमान या ईसाई किसी भी इतर धर्मावलम्बी का उसी हद तक सहयोग पा सकता है, जितना कि वह अपने मजहब से दूर है।
अतः जो भारतीय संविधान मानवमात्र की हत्या और लूट व नारियों के बलात्कार के लिए बना है, उसे समाप्त करने में आप आर्यावर्त को सहयोग दें। एकपक्षीय धर्मान्तरण धोखा है, जिसमें धर्मान्तरित व्यक्ति विवेकहीन, (बाइबल, उत्पत्ति 2ः17) चरित्रहीन, (बाइबल, याशयाह 13ः16) हिंसक (कुरआन 8ः39) व दुराचारी (कुरआन 4ः24 व 23ः6) हो जाता है। राज्य का कर्त्तव्य है ऐसे व्यक्ति को दंडित करना। लेकिन इनसे समझौता किया जा रहा है। क्यों कि इन लोगोँ ने स्वस्फूर्त दासता स्वीकार की है। स्वयं आप अकेले लड़ाई नहीं लड़ सकते। राज्य ही राज्य से लड़ सकता है।
यदि ईसाई व मुसलमान ईसाइयत व इस्लाम को त्याग दें तो उन्हें पता चल जाएगा कि उन्होंने भले व बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खा लिया है (बाइबल, उत्पत्ति 2ः17) और उनके लिए मूर्खों के स्वर्ग का दरवाजा सदा सदा के लिए बंद हो चुका है। तभी उन्हें पता चल सकेगा कि उनको व उनके पूर्वजों को पुरोहितों व शासकों ने कितने बेरहमी से ठगा है। यदि स्वयम् व मानव जाति को बचाना है तो वैदिक पंथी बनिए।
क्रमश:
मानव रक्षा संघ प्रकाशन
अनुवादकः अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मूल लेखक: अरविंद घोष