Thursday, December 15, 2011

नेहरू खान वंश भाग-6


नेहरू राजवंश के उदय का कारण



अयोध्‍या प्रसाद त्रिपाठी
प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय


परिस्थितियों के पैदा होने के पीछे कुछ घटनाक्रम उत्तरदायी होते हैं। अनुवादक उन्हीं परिस्थितियों को आप के सामने रखने का प्रयत्न कर रहा है। यदि पाठक के पास इससे उत्तम सुझाव हो तो निःसंकोच लिख सकते हैं।
लूट का माल अल्लाह का है और संपत्ति समाज की। कत्ल करना, महिलाओं का बलात्कार करना, लूटना, धर्मान्तरण करना और राष्ट्रान्तरण करना अपराध नहीं, इस्लाम में जेहाद यानी परम पवित्र कार्य है। अतः इस्लाम व मुसलमान अंग्रेजों के बड़े काम की चीज हैं। अंग्रेज इस्लाम के इन अपराधी चरित्रों का भरपूर दोहन कर रहे हैं।
आर्यों ने विदेशियों के विरुद्ध युद्ध लड़ा। अतः अंग्रेजों के शत्रु हैं। इन्हें मिटाना है। आर्यों को मिटाना मुसलमानों का धर्म है। इतना ही नहीं लूटना ही मुसलमान की जीविका है।
मुसलमानों को अल्पसंख्यक का दर्जा तीन कारणों से दिया गया है। पहला अंग्रेज अपने साम्राज्य के समाप्ति के लिए भारत के गैर मुसलमानों को उत्तरदायी मानते हैं और इसलिए वे अपनी दुश्मनी साधने के लिए भारत के गैर मुसलमानों को समूल नष्ट करवाना चाहते हैं। दूसरा कांग्रेसियों को 98 प्रतिशत आयकर, 345 प्रतिशत सीमा कर, नागरिकों की जमीनें, सोना, बैंक में जमा धन, खानें, कारखाने और रेल, संचार, बीमा जैसी सेवाएं लूटनी थीं। मुसलमानों को लुटेरे, हत्यारे और ब्यभिचारी अल्लाह ने गैर मुसलमानों को कत्ल करने, लूटने और भारत को इस्लामी राष्ट्र  में बदलने का अधिकार दिया हुआ है। इसके विपरीत वैदिक ब्यवस्था के अनुयायी आर्य लूट के विरोधी हैं।
अतः तीनों गैर मुसलमानों को अपने विभिन्न कारणों से मिटाना चाहते हैं। एक को दुश्मनी निकालनी है, दूसरे को देश को लूटना है और तीसरे को लूट का माल, महिलाएं, गाजी की उपाधि  और मरने पर जन्नत की आवश्यकता है। इतना ही नहीं सबको लूट और दासता विरोधी वैदिक संस्कृति को समूल नष्ट करना है। जो इस्लाम के सहयोग के बिना संभव नहीं है। इस प्रकार मुसलमान अंग्रेजों और उनकी कांग्रेस की बिना मूल्य सेना हैं। अंग्रेज इस्लाम के इसी चरित्र का दोहन करते आ रहे हैं। ई. सन् 712 से 1700 तक मुसलमान अपना साम्राज्य बढ़ाते रहे और कुछ वर्षों में ही उस भारतीय साम्राज्य पर अंग्रेजों का आधिपत्य हो गया। कत्ल मुसलमान करेंगे और साम्राज्य सोनिया यानी ईसाइयों का होगा। यदि इस देश के गैर मुसलमान जीवित रहना चाहते हैं तो मुसलमानों को भारत से खदेड़ें।
नेहरू वंश ही क्यों
पाठक गौर करें। नेहरू वंश मुसलमान है। यह बात पाठक को मालूम हो या नहीं अंग्रेजों को भली भांति मालूम है। इसी कारण यह वंश आज भी अंग्रेजों का पूज्य है। हो क्यों न! इंगलैंड से अंग्रेज भारत को लूटने ही तो आए थे। फिर अल्लाह, इस्लाम और मुसलमानों से अच्छा सहयोगी कौन मिल सकता है? क्योंकि,
लूट अल्लाह है बलात्कार है अल्लाह।
कत्ल अल्लाह है धर्मान्तरण अल्लाह।।
राष्ट्रान्तरण अल्लाह है विश्वासघात अल्लाह।
ईश्वर है गांधी  का यही अपराध अल्लाह।।
विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी आबादी देश हत्यारे मुसलमानों को अल्पसंख्यक कहना अपने आप में एक भयानक षड़यंत्र है। इस षड़यंत्र का जनक वायसराय मिंटो नामक अंग्रेज था। 1906 में ही उसके द्वारा आविष्कृत इस अल्पसंख्यक शब्द ने आर्यों के विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध युद्ध को विफल कर दिया। इतना ही नहीं आर्यों के सदाबहार शत्रु मुसलमानों को आर्यों और उनकी वैदिक संस्कृति को मिटाने का कार्य सुगम बना दिया।
यह अल्पसंख्यक शब्द का ही कमाल है कि इंग्लैंड से आए अंग्रेज विदेशी हैं और अरब से आए मुसलमान भारतीय? मुझे यह समझ में नहीं आया। 1947 में अंग्रेजी राज्य समाप्त करने की नौटंकी हुई और मुसलमानों को पाकिस्तान मिला। जो माउंटबेटन 14 अगस्त, 1947 को वाइसराय था वही 15 अगस्त को गवर्नर जनरल बन गया! माउंटबेटन, कांग्रेस और गांधी  जवाहर की योजना 1947 में ही गैर मुसलमानों को मिटा देने और वैदिक सभ्यता को समूल नष्ट करने की थी। जब गैर मुसलमान कत्ल हो रहे थे तो कांग्रेसी आजादी का जश्न मना रहे थे। जनसंख्या बल और ओज तेज के कारण आर्य बच गए। न तो कोई आईएसआई है और न मुस्लिम तुष्टीकरण। विश्व को वैदिक सिद्धांतों से भय है, क्यों कि वैदिक सिद्धांत नागरिकों को सम्पत्ति का अधिकार देते हैं और राज्य को उपज के छठे भाग से अधिक कर लेने की अनुमति नहीं देते। विश्व को नागरिकों को आर्थिक दास बनाना था। यही कारण है कि लुटेरा, हत्यारा, बलात्कारी और राष्ट्र  हत्यारा अल्लाह गांधी का ईश्वर है। अरब का इस्लाम भारत की गंगायमुनी संस्कृति का अंग बन गया है। देश के हत्यारे मुसलमान अल्पसंख्यक बन गए हैं। जिन मुसलमानों ने संप्रदाय के आधार पर देश के टुकड़े किए वे धर्मनिरपेक्ष कहे जा रहे हैं। जिन मुसलमानों ने कहा कि वे अलग राष्‍ट्र  हैं और हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते वे भारत में रह रहे हैं। रह ही नहीं रहे गैरमुसलमानों को रोज कत्ल कर रहे, लूट रहे और उनकी मातृभूमि से उजाड़ रहे हैं। कोई नहीं पूछता कि यदि अंग्रेज विदेशी थे और उनका राज्य समाप्त किया गया तो मुसलमान विदेशी क्यों नहीं और उनको पाकिस्तान, बंगलादेश और कश्मीर क्यों मिलना चाहिए?
गलत को सही करने की कला में कांग्रेसी तो सदा ही निपुण रहे हैं। तभी तो मोहनदास करमचंद गांधी  के मुंह में जबरदस्ती हेरामठूस दिया, जिसे उसने कहा ही नहीं। यह तो वही बात हुई कि एक छोटे बच्चे ने कहा कि राजा नंगा है। पहले खान कश्मीरी पंडित बना। फिर कश्मीरी पंडित धर्मनिरपेक्ष बन गया। इस धर्मनिरपेक्ष की लड़की इंदिरा ने फिर फिरोज खान से फरजाना बेगम खान नाम रख कर निकाह किया और आर्यों से झूठ बोला गया कि फिरोज मुसलमान नहीं पारसी था और वह हिंदू बन गया है। वही खान फिर देश को द्दोखा देने के लिए कांग्रेसियों के षड़यंत्र द्वारा गांधी  बन गया। आज तक इसी  खान को कांग्रेस के लोग पारसी कहते हैं। जब कि फिरोज खान की पारसी मां उसी दिन मुसलमानी हो गई जिस दिन उसने नवाब खान से निकाह किया। फिर तथाकथित पारसी राजीव कैथोलिक ईसाई बन गया और आज भी इस धूर्त परिवार के पीछे सभी लगे हैं। क्योंकि लूट की छूट तो कांग्रेस ही देती है। जहां लूट मची है वहां तो लोग टूटेंगे ही। धर्म त्याग इस्लाम विरुद्ध है जिसके लिए मृत्युदंड है। फिर भी अब्दुल्ला बुखारी और सैयद शहाबुद्दीन चुप रहे। इसका भी कारण है। इस्लाम और ईसाई दोनों धर्मान्तरण के पक्षधर हैं।
क्या आप को यह विचित्र नहीं लगता कि जिस कांग्रेस ने देश के टुकड़े किए। देश हत्यारे मुसलमानों को भारत में रखा। लाखों लोगों को कत्ल करवा कर और करोड़ों लोगों को बेघर कर के आजादी का जश्न मनाया। कश्मीर, तिब्बत, अक्साईचीन, तीन बीघा विदेशियों को सौंपा। 19651971 में पाकिस्तान से जीती हुई भूमि वापस किया। 93 हजार युद्धबंदी रिहा किए और अपने मात्र 54 सैनिक पाकिस्तान के हाथों मरवाए। पंचशील के बहाने चीन के हाथों कैलाश मानसरोवर के साथ अपनी 42 हजार वर्गमील भूमि से अधिक  गंवाया और देश रक्षक हजारों सैनिकों को कत्ल कराया। देश को इस प्रकार दिवालिया बना दिया कि न तो सरकार के पास और न किसी भी नागरिक के पास मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कारखाने लगाने के लिए पैसे हैं। वही कांग्रेस तरक्की की बात करती है। देश की रक्षा की बात करती है। वही कांग्रेस यदि देश को बचाने का दम भर रही है तो मात्र इसलिए कि मतदाता महामूर्ख हैं! प्रजातंत्र भयानक ब्यवस्था है। यही फरजाना बेगम यानी इंदिरा खान के समाजवादी लूट की उपलब्धि है। याद रखें! भारतीय संविधान में संशोधन कर समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्द इसी इंदिरा खान ने जुड़वाया था।
यह लूट के माल का ही कमाल है कि सभी कांग्रेस को लाने के लिए उतावले हैं। रोमराज्य लाने के लिए उतावले हैं! अपने पूर्वजों को गाली देने और अपमानित करने पर उतारू हैं। वैदिक सभ्यता को समाप्त कर आर्थिक और धार्मिक दासता अपनाने के लिए उतारू हैं। अपना गला कटवाने के लिए उतारू हैं। देश को मिटाने के लिए उतारू हैं। वह भी धर्मनिरपेक्षता, सर्वधर्म समभाव, हिंदू-मुस्लिम एकता और राष्ट्रीयता के नाम पर, जिसके लिए कुरआन में कोई स्थान ही नहीं है!
क्रमश:
मानव रक्षा संघ प्रकाशन
अनुवादकः अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मूल लेखक: अरविंद घोष