Wednesday, December 21, 2011

नेहरू खान वंश भाग-9

हम आर्थिक दास बन गये








 
अयोध्‍या प्रसाद त्रिपाठी
प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय
लूटे कोई, कत्ल करे कोई, अंत में रोमराज्य लाने के लिए तो इस देश के जयचंद और मानसिंह उतावले हैं ही। क्लाइव और डलहौजी मूर्ख थे। तभी लोक तंत्र ले आते तो उन्हें देश ही न छोड़ना पड़ता। न कोई लड़ाई ही लड़नी पड़ती। आखिर इस देश के खूंखार मुसलमान तो इस देश व गैर मुसलमानों की हत्या कर ही देते।
यह कहना सरासर गलत है कि गैर मुसलमान आजाद हैं. 1947 में मनुष्य को आजादी नहीं मिली. हम आर्थिक दास बन गये. 26 नवंबर 1949 को आर्यों पर एक भारतीय संविधान थोपा गया, जिसने आर्यों को अनुच्छेद 31 द्वारा सम्पत्ति का मौलिक अधिकार दे दिया था। यह अनुच्छेद वैदिक संस्कृति का पोषक था और देश की लूट में रुकावट। संविधान के प्रथम संशोधन और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद यह सम्पत्ति का अधिकार आर्यों से छिन गया। आर्यों की सम्पत्ति व आवश्यकताओं पर राज्य का एकाधिकार हो गया. मनुष्य अपनी आवश्यकताओं का दास है. आवश्यकतायें कोटा, परमिट, लाइसेंस और राशन के अधीन हो गईं. इसका राज्य को दोहरा लाभ मिला. पुराने जमाने में दास खरीदे जाते थे. इस प्रथा में तमाम झंझट था. एक तो दास को खरीदने पर ब्यय करना और उसके बाद दासों के भोजन, कपड़ा, भवन और चिकित्सा पर ब्यय करना. राज्य को इन झंझटों से मुक्ति मिल गई. दूसरा लाभ यह हुआ कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के लिये पैदा होने के बाद दूध से लेकर मरने के बाद कफन तक के लिये राज्य के अधीन हो गया. जिसे उपभोक्ता वस्तु चाहिये वह अधिकारी यानी समाजवादी तानाशाह के पास जाये. घूस दे. वस्तु ले.
लूट ब्यवस्था को पुष्ट करने के लिये बाद में इंदिरागांधी द्वारा भारतीय संविधान को 3.1.1977 से समाजवादी और पंथनिरपेक्ष बना दिया गया. समाजवादी इसलिये कि समाजवाद के सिद्धांत के अधीन आर्यों की संपत्तियां व आवश्यकताएं स्वतः राज्य के अधीन हो गईं और धर्म अफीम हो गया. भारतीय संविधान पंथनिरपेक्ष इसलिये बना कि मुसलमानों को अल्लाह का आदेश है कि जो मुसलमान नहीं उसे कत्ल कर दो तो अल्लाह जन्नत यानी स्वर्ग देगा. देखें कुरआन 2.193, 8.39, 9.5, 33.61 आदि. जैसा कि पीछे मैने लिखा है, आर्य सिद्धांत व्यक्ति को सम्पत्ति का अधिकार देते हैं. जो देर सवेर राज्य के सामने समस्या खड़ी कर सकते हैं. अतः इस्लाम के अनुयायी मुसलमानों केा भारत में आर्यों को समूल नष्ट करने के लिये रखा गया है.
गैर मुसलमान हिंदू नहीं आर्य हैं। गैर मुसलमानों के किसी भी वेदों, उपनिषदों और महाकाव्यों ने गैर मुसलमानों को हिंदू नाम से संबोधित नहीं किया है। यही नहीं! गैर मुसलमानों को अंग्रेजों ने भी आर्य ही कहा है। इतिहास गवाह है कि गैर मुसलमानों को गाली देने और अपमानित करने के लिए ही आक्रांता मुसलमान गैर मुसलमानों को हिंदू कहते हैं। मुसलमानों के शब्दकोष फिरोज उल लुगात में हिंदू शब्द का अर्थ, ‘‘हिंदुस्तान का रहने वाला, चोर, लुटेरा, गुलाम, काला’’ लिखा गया है। आश्चर्य यह नहीं है। आक्रांता मुसलमान कुरआन के आदेशों के अनुसार, जन्नत और लूट की प्राप्ति के लिए गैर मुसलमानों के विरुद्ध कुछ भी लिख सकते और कह सकते हैं। गैर मुसलमानों के साथ जो भी दुर्ब्यवहार चाहें कर सकते हैं। आश्चर्य यह है कि चलती फिरती लाशें यानी गैर मुसलमान इस हिंदू शब्द का विरोध नहीं करते। वे गर्व से अपने को हिंदू कहते हैं और उन्हें इस चोर, लुटेरे, गुलाम हिंदूसम्बोधन से कोई परहेज नहीं। यह संघ सरकार के भारतीय संविधान के लोक ब्यवस्था, शिष्टाचार और सदाचार का कुख्यात नमूना है।
जहां अंग्रेजों ने अपने भरपूर प्रयत्न से यह सिद्ध कर दिया था कि आर्य विदेशी आक्रांता है और मध्य एशिया से आए थे। फिर भी यह देश छोड़ कर चले गए, वहीं जिन मुसलमानों ने स्वयं आर्यों को भारत का निवासी बताया और कहा कि वे हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते, इस भारत के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के भी गैर मुसलमानों को लूटने, कत्ल करने और देशों केा इस्लामी राष्ट्र  बनाने के लिए परजीवी बन कर भारत में ठहरे हुए हैं। यह संघ सरकार के भारतीय संविधान के लोक ब्यवस्था, शिष्टाचार और सदाचार का नमूना है।
सम्पत्ति समाज की है और लूट का माल अल्लाह का। फिर भी भारतीय संविधान लुटेरों की निर्देशिका नहीं! प्रजातंत्र लुटेरी ब्यवस्था नहीं! धर्म कुफ्र है या अफीम। फिर भी भारतीय संविधान पंथनिरपेक्ष है! क्यों कि कुफ्र  कत्ल से बुरा है। मुसलमान, जिन्होंने देश की हत्या की, असली पंथनिरपेक्ष हैं! क्यों कि गैर मुसलमानों को कत्ल करने से मुसलमानों को जन्नत मिलती है। गैर मुसलमान लुटेरे प्रजातंत्र के शत्रु हैं। मुसलमान भी गैर मुसलमानों के शत्रु हैं। शत्रु का शत्रु मित्र हेाता है। अतः मुसलमान-कांग्रेस आपस मे मित्र हैं। गैर मुसलमानों को कत्ल करते हैं। देश को इस्लामी राष्ट्र  बनाते हैं। बंटवारे के बाद भी इसीलिए मुसलमानों को मोहनदास करमचंद  गांधी और कांग्रेस ने भारत में रखा है। लूटना सभी पार्टियों को है। मताधिकार वास्तव में लूटाधिकार  है। देश के गैर मुसलमान मत देते हैं कि उन्हें लूटने की बारी अब किसकी रहेगी? नागरिकों को लूटने का मौका जनता ने इस बार सबसे अधिक सोनिया को दिया है। कुत्ते की हड्डी के लिए यह एक छीना झपटी है। जिसका मौका लगेगा वही लूटेगा।
समाजवाद के विश्व से निष्कासन के बाद लुटेरा, हत्यारा और वैश्याबाज अल्लाह और भी अधिक प्रासंगिक हो चुका है। अन्यथा लोक/लूट तंत्र के लुटेरों की लूट ही अप्रासंगिक हो जाएगी।
लूट का ऐसा जादू है कि आरएसएस जिस सऊदी अरब में गैर मुसलमान घुस ही नहीं सकते, उसके निवासियों की चरखी दादरी विमान दुर्घटना में, जहां लाशें ढो कर गर्व कर रहा है वहीं शिव सैनिक इजतेमाह का प्रबंध  हाथ में ले कर। यानी लूट के लिए गैर मुसलमानों की हत्या का सभी मिल जुल कर पक्का प्रबंध  कर रहे हैं। क्यों कि लूट का माल अल्लाह का है। गैर मुसलमानों की औरतें अल्लाह की हैं। यह देश भी अल्लाह का दार-उल-हर्ब है जिसे दार-उल-इस्लाम बनाना है। मदरसाओं का सुधार आवश्यक है क्यों कि यहीं मुसलमानों को गैर मुसलमानों के कत्ल की शिक्षा मिल सकती है।
क्रमश:
मानव रक्षा संघ प्रकाशन
अनुवादकः अयोध्या प्रसाद त्रिपाठी
मूल लेखक: अरविंद घोष