Tuesday, December 13, 2011

सोनिया और राहुल ने कालाधन पर कभी भी राय नहीं दी

 
 
प्रस्‍तुति: डॉ0 संतोष राय

*122 करोड़ लोगो के भाग्यविधाता सोनिया और राहुल ने आजतक स्वतंत्र प्रेस
चर्चा में हिस्सा क्यों नहीं लिया और कालाधन पर कभी भी राय नहीं दी जानिए , क्यों?

जरुर पढ़ें और अग्रेषित करे.....* (शेयर करें )

1-राहुल और सोनिया के सोचने का दायरा बहुत सीमित है और इनका सामान्य ज्ञान भी
बहुत कम है, इसलिए ये प्रेस कांफ्रेंस में सवालों का जबाब देते समय कुछ ऐसा बोल
जायेंगे जिससे की इनकी हकीकत जनता के सामने आ जाएगी.

2-सोनिया को भारत की कोई भी भाषा नहीं आती और कम पढ़ी लिखी होने के कारण इनको
सार्वजनिक वाद संवाद से दूर रखा जाता है. सोनिया को आप सुन सकते है उनसे कुछ
पूंछ नहीं सकते है. भारत का नेता तो मिडिया के पीछे घूमता है जबकि सोनिया और
राहुल को कैमरे और वाद विवाद से बचाकर रखा जाता है, इसके पीछे कारण क्या है?

3-कांग्रेस सरकार एक ही विषय को कई लोगो द्वारा जनता के सामने लाती है और
उसमे सोनिया या राहुल का नाम तब तक नहीं उछाला जाता है जब तक की
चीजे सबको स्वीकार्य न हो जैसे ही स्वीकार्य निष्कर्ष निकलता है, उसमे
राहुल और सोनिया की सहमति को मिडिया से प्रचारित किया जाता है. यदि पासा
उलटा पड़ जाये तो उसे सरकार के मथ्थे मढ़ दिया जाता है और प्रचारित किया जाता
है की इसे सोनिया और राहुल का समर्थन नहीं है और ये सब परदे के पीछे से मिडिया
के द्वारा चलाया जाता है.

4-भारत का कोई नेता जनता की राय से बड़ा नहीं होता है, लेकिन आज तक सोनिया और
राहुल ने अपने विदेशी दौरों का विवरण कही भी दर्ज नहीं कराया है की वे कब कब
कहा कहा किस किस काम से कितने दिनों के लिए विदेश गए. इसकी जबाबदेही किसकी है, क्या
ये जिम्मेदार सांसद नहीं है.

5-हमें उस दिन का इंतज़ार है जब मिडिया चनेलो पर राहुल या सोनिया कालेधन को
वापस लाने पर चर्चा करते दिखेंगे. आखिर उनकी ऐसी क्या कमजोरी है की
उन्होंने कालाधन के विषय पर एक भी सार्वजनिक वक्तव्य अभी तक नहीं दिया है जबकि
यह भारत के लिए बहुत ही महत्वपर्ण विषय है और 400 लाख करोड़ से ज्यादा का
कालाधन विदेशो में जमा होना साबित हो चूका है और सब मानते है की कालाधन एक
हकीकत है, इसकी मात्र और जगह , मालिकाना हक़ बहस का विषय हो सकता है लेकिन इसे
लाने के लिए किये जाने वाले उपायों पर सबको राय देना चाहिए क्या ये देश उन्ही
का है जिनके घर का कोई शहीद हो जाता है.

6-कालाधन और भ्रष्टाचार व् महगाई तीन प्रमुख मुद्दे हैं, जिसमे कालाधन का
मुद्दा ऐसा है जिसे बहुत आसानी के साथ गारंटी के साथ बहुत कम समय में परिणाम दिया
ज़ा सकता है, बाकि दो मुद्दे कभी न ख़तम होने वाले मुद्दे है जिसे बाबा रामदेव
और अन्ना जी के तरीके से ही निपटा ज़ा सकता है. अब तो बाबा रामदेव जी कालाधन
वापस लाने की युक्ति भी अपने शिविरों में सार्वजनिक रूप से बता रहे हैं क्या
सरकार के लोग इसका खंडन या समर्थन नहीं कर सकते. 4 जून की घटना पर आजतक
राहुल और सोनिया ने अपना बयान क्यों नहीं दिया जबकि यह घटना सरकार बदल देने
वाली घटना है, क्या कांग्रेस को अपने वोटिंग मशीनों पर इतना ज्यादा भरोसा हो
चुका है.

7-कालाधन आना शुरू होते भारत की काया पलट होना भी शुरू हो जायेगा क्योकि 20
करोड़ बेरोजगारो के स्थाई कामो का इंतजाम होना शुरू हो जायेगा और
भारत की उत्पादन और बाजार दोनों ही कई गुना बढ़ जायेगे और भारत की विश्व
की सबसे बड़ी शक्ति बनाने का रास्ता शुरू हो जायेगा तो क्या सोनिया और राहुल
भारत की विश्वशक्ति के रूप में देखना नहीं चाहते है. सोनिया और राहुल में ऐसा
क्या विशेष गुण है जो भारत की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी में सत्ता
के केंद्र बने हुए है इन दोनों लोगो से ज्यादा सक्षम तो भारत का हर नेता है तो
इनको शक्ति दिलाने के पीछे कौन सी महाशक्ति काम कर रही है.

*निश्चय ही वह महाशक्तिया इस महान भारत भूमि की कतई नहीं हो सकती है....*

पूछता हूँ ये सवाल मै हर देश वासी से

एक परिवार ही क्यों इतना महान हो गया

लाखो शहीदों को छोड़ गुमनामी मे

बिना कुछ किये ही खुद मुखिया हो गया

जिन्होंने दी शाहदत हँसते हँसते

......उनका परिवार किस जगह खो गया

अगर नाम लगाने से बदलती हो सूरत ए हिंद

चलो आज से ही सबका नाम गाँधी हो गया ??????????????????????????????